PM Kisan: प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधी योजना के लाभार्थी किसानों की संख्या में भारी कमी आई है. बीते एक साल के दौरान इसमें करीब 14 फीसद की गिरावट आई है. सरकार की तरफ से संसद में दी गई जानकारी के मुताबिक वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान इस योजना का लाभ लेने वाले किसानों का आंकड़ा 10.73 करोड़ था जो वित्तवर्ष 2023-24 में घटकर 9.21 करोड़ रह गया है. किसानों की संख्या कम होने की वजह से इस योजना पर सरकार का खर्च भी घटा है. इस योजना के लिए बजट में 60 हजार करोड़ रुपए खर्च का प्रावधान है, लेकिन कुल खर्च 57 हजार करोड़ होने का अनुमान है. बजट से पहले किसानों को उम्मीद थी कि सर्कार इस योजना के तहत किसानों को मिलने वाली राशि को बढ़ा सकती है. लेकिन बजट में पीएम किसान के तहत दी जाने वाली राशि को बढ़ाया नहीं गया है.
सरकार ने दी जानकारी
केंद्रीय कृषि मंत्री अर्जुन मुंडा ने संसद में बताया कि प्रमुख पीएम किसान योजना के तहत लाभार्थियों की संख्या पिछले साल के 10.73 करोड़ से 2023-24 में 14 प्रतिशत गिरकर 9.21 करोड़ हो गई है. उन्होंने कहा कि लाभार्थियों की अंतिम संख्या लगभग 9.5 करोड़ के करीब है. इस योजना के तहत किसानों को 6,000 रुपये प्रति वर्ष खाते में भेजा जाता है. वर्तमान दर के तहत इस योजना पर वार्षिक खर्च लगभग 57,000 करोड़ रुपये हो सकता है. गौरतलब है कि सरकार ने वित्त वर्ष 2024-25 के लिए पीएम किसान सम्मान निधि के लिए 60,000 करोड़ रुपये का आवंटन किया है.
सबसे ज्यादा पंजाब में घटे लाभार्थी किसान
लोकसभा में सरकार की तरफ से दी गई जानकारी के अनुसार, प्रमुख कृषि उत्पादक राज्यों में पंजाब में सर्वाधिक लाभार्थियों की संख्या घटी है. पंजाब में पीएम किसान के लाभार्थियों की संख्या पिछले साल के 17.08 लाख के मुकाबले इस साल 2023-24 में घटकर 9.34 लाख रह गई है. इसके बाद, दूसरे नंबर पर महाराष्ट्र में 11.5 प्रतिशत की गिरावट देखी गई है. यहां लाभार्थी किसानों की संख्या 1.04 करोड़ से घटकर 2023-24 में 92.5 लाख बची है. सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में 16.5 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है और 2.43 करोड़ से संख्या घटकर 2023-24 में 2.03 करोड़ रह गई है.
किसान लाभार्थियों की संख्या क्यों घटी?
कृषि मंत्री ने बताया कि सरकार ने अब तक 15 किश्तों में 11 करोड़ से अधिक किसानों को 2.81 लाख करोड़ रुपये से अधिक का भुगतान किया है. इस योजना के तहत पात्र लाभार्थियों की पहचान और सत्यापन करना राज्य सरकार की बड़ी जिम्मेदारी और चुनौती भी है. आधार प्रमाणीकरण अनिवार्य किए जाने के बाद अपात्र लाभार्थियों को बाहर करने के साथ-साथ किसी भी दोहराव को कम करने के बाद वास्तविक लाभार्थियों पर काम किया गया है. इस योजना के तहत पात्र किसानों की पहचान करने में सरकार ने सख्ती दिखाई है इसलिए इस योजना के तहत लाभार्थी किसानों की संख्या में कमी आई है.
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