इंटरनेट पर मौजूद गलत जानकारी से लोगों को बचाने के लिए टेक दिग्गज मेटा और मिसइनफॉर्मेशन कॉम्बैट एलायंस (MCA) ने साझेदारी की है. दोनों कंपनियां मिलकर आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (AI) और डीपफेक से पैदा होने वाली जानकारी से लोगों का बचाव करेंगी. इसके लिए जल्द ही WhatsApp पर एक हेल्पलाइन शुरू की जाएगी, जहां यूजर्स ऐसे सभी मामलों की रिपोर्ट कर सकेंगे. ये जानकारी सोमवार को दी गई.
मेटा और एमसीए के मुताबिक ये हेल्पलाइन अगले महीने से सार्वजनिक उपयोग के लिए उपलब्ध होगी. व्हाट्सऐप हेल्पलाइन एक चैटबॉट फीचर होगा, जो डीपफेक से पैदा होने वाली गलत जानकारी की पहचान करेगा. ये चैटबॉट बहुभाषी होगा. ये अंग्रेजी के अलावा, हिंदी, तमिल और तेलुगु भाषा को भी सपोर्ट करेगा. Meta के अलावा Amazon, Google और Microsoft समेत 20 टेक्नोलॉजी कंपनियां 2024 में चुनावों से पहले ऐसे गुमराह करने वाले AI कंटेंट का पता लगाने का काम करेंगी. भारत में मेटा के साथ एमसीए व्हाट्सएप हेल्पलाइन पर प्राप्त होने वाले सभी इनबाउंड संदेशों को प्रबंधित करने के लिए एक सेंट्रर डीपफेक एनालिसिस यूनिट स्थापित करेगा.
वॉटरमार्किंग और लेबलिंग पर जोर
पिछले साल नवंबर में, केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने डीपफेक और गलत सूचना के मुद्दे पर मीडिएटरों के साथ चर्चा की थी. इस दौरान डीपफेक से निपटने के लिए कंटेट की वॉटरमार्किंग और लेबलिंग पर जोर दिया गया. मंत्री ने कहा था कि वॉटरमार्किंग और लेबलिंग बुनियादी जरूरतें थीं, लेकिन कई शरारती तत्वों ने इससे छेड़छाड़ का रास्ता ढूंढ लिया. इसी को रोकने के लिए संशोधन के माध्यम से सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) नियम, 2021 के तहत डीपफेक से निपटने के लिए कड़े प्रावधान पेश किए जाएंगे.
क्या है डीपफेक?
यह एक AI-जनरेटेड कंटेंट है, जो फोटो या वीडियो फॉर्मेट में किसी व्यक्ति का रूप लेकर यूजर्स को गुमराह करने का काम करता है. अक्सर ऐसे कंटेंट बिलकुल असली जैसे तैयार किए जाते हैं और लोगों के बड़े समूह को गलत जानकारी पहुंचाते हैं.