बीमारी ठीक करने के लिए व्यक्ति दवाई का सहारा लेता है. लेकिन बाजार में ऐसी दवाईयां भी बेची जा रही हैं जिन्हें खाकर आप और बीमार हो सकते हैं. तेलंगाना के मेडिकल स्टोर्स में ऐसी दवाएं पाई गई हैं जिनमें चाक पाउडर और स्टार्च पाया गया है. यह नकली दवाईयां Meg Lifesciences कंपनी के नाम से बिक रही थी. तेलंगाना सरकार को मेग लाइफ साइंसेज की तीन दवाओं – एमपीओडी 200, मेक्सक्लेव 625 और सीईएफओएक्सआईएम-सीवी – में दवा नहीं मिली है. इन तीनों में केवल चाक पाउडर और स्टार्च मिला है.
लोगों की सेहत को ध्यान में रखते हुए राज्य के औषधि नियंत्रण प्रशासन (DCA) ने इनके इस्तेमाल के खिलाफ चेतावनी दी है. DCA ने मंगलवार को जारी एक बयान में कहा, कंपनी ने हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले में स्थित होने का दावा किया था. हालांकि यह एक फर्जी कंपनी है जिसका कोई अस्तित्व नहीं है.
33 लाख रुपए से ज्यादा की दवाएं जब्त
इन दवाइयों को राज्य के ड्रग्स कंट्रोल एडमिनिस्ट्रेशन (DCA) ने जब्त कर लिया है. जब्त की हुई दवाइयों की कीमत तैंतीस लाख रुपए से ज्यादा है. कंपनी ने यह दावा किया था कि MPOD 200 में सेफपोडोक्सिम प्रोक्सेटिल और लैक्टिक एसिड बैसिलस है, जबकि MEXCLAV 625 में एमोक्सिसिलिन और पोटेशियम क्लैवुलनेट, और लैक्टिक एसिड बैसिलस है, और CEFOXIM में इसे सेफपोडोक्साइम प्रोक्सेटिल और पोटेशियम क्लैवुलनेट और लैक्टिक एसिड बैसिलस शामिल है. हालांकि सरकार को इसमें दवा का कोई कॉम्पोनेंट नहीं मिला है.
टोल फ्री नंबर पर करें शिकायत
डीसीए ने कहा, “रिटेलर्स और होलसेलर्स को ‘मेग लाइफसाइंसेज’ लेबल वाली किसी भी दवा की बिक्री और वितरण को रोकने और क्षेत्र के ड्रग्स इंस्पेक्टर को तुरंत सूचित करने का निर्देश दिया जाता है. डीसीए ने जनता से भी वितरण के संबंध में किसी भी जानकारी की रिपोर्ट करने का आग्रह किया है. डीसीए ने जनता को रिपोर्ट दर्ज कराने के लिए एक टोल-फ्री नंबर – 1800-599-6969 – भी दिया है.
एसोचैम पहले भी कर चुका है आगाह
देश में नकली दवाओं का यह पहला मामला नहीं है. 2020 के एसोचैम स्टडी ‘भारत में नकली और नकली दवाएं-बूमिंग बिज़’ से पता चला कि भारतीय घरेलू दवा बाजार के कुल 14 लाख करोड़ रुपए में से नकली दवाओं का हिस्सा 352 करोड़ रुपए था. 2022 के बाद से गाम्बिया, उज्बेकिस्तान और इंडोनेशिया में कफ सिरप पीने से बच्चों सहित लगभग 200 लोगों की मौत हो गई थी.
बाद की जांच में मौतों का संबंध भारत में अलग-अलग दवा निर्माताओं से जोड़ा गया है. जांच में सैकड़ों मौतों को “दूषित सिरप” से जोड़ा गया है.