जेएम फाइनेंशियल (JM Financial) ने फाइनेंसिंग बिजनेस पर पाबंदी लगाने के रिजर्व बैंक (RBI) के आदेश की ‘सावधानीपूर्वक और विस्तृत समीक्षा’ के बाद बुधवार को कहा कि कर्ज को मंजूरी देने की उसकी प्रक्रिया में ‘कोई खामी नहीं’ थी. केंद्रीय बैंक ने इस गैर-बैंकिंग वित्त कंपनी (NBFC) को शेयरों एवं डिबेंचर के एवज में फाइनेंस करने से रोक दिया है, जिसमें शेयरों के आईपीओ के साथ-साथ लोन की मंजूरी और वितरण भी शामिल है. ये प्रतिबंध तत्काल प्रभाव से लागू हो गए हैं.
रिजर्व बैंक ने उधार दिए गए रकम का इस्तेमाल करके अपने ग्राहकों के एक समूह को विभिन्न आईपीओ के लिए बोली लगाने में बार-बार मदद करने पर यह पाबंदी लगाई है. जेएम फाइनेंशियल प्रोडक्ट्स लिमिटेड ने इस कार्रवाई के एक दिन बाद अपना पक्ष रखते हुए कहा, ‘आरबीआई के आदेश की सावधानीपूर्वक और विस्तृत समीक्षा के बाद हमें ये भरोसा है कि हमारी लोन सैंक्शन की प्रक्रिया में कोई महत्वपूर्ण कमी नहीं है. इसके अलावा, कंपनी ने लागू नियमों का भी उल्लंघन नहीं किया है.’
जेएम फाइनेंशियल के प्रवक्ता ने एक बयान में कहा, हम कहना चाहते हैं कि कंपनी संचालन संबंधी कोई समस्या नहीं है और हम अपने सभी व्यावसायिक और परिचालन मामलों को प्रामाणिक ढंग से संचालित करते हैं. कंपनी आरबीआई की सलाह के अनुसार अपने मौजूदा ग्राहकों को सेवा देना जारी रखेगी.
प्रवक्ता ने कहा कि कंपनी दो दशकों से आईपीओ के लिए फाइनेंस कर रही है और इसका आईपीओ फाइनेंसिंग प्रोडक्ट शॉर्ट टर्म का और सेल्फ लिक्विडेटिंग है.
रिजर्व बैंक की तरफ से पाबंदियां लगाए जाने के बाद बुधवार को शुरुआती कारोबार के दौरान जेएम फाइनेंशियल के शेयरों में 19 प्रतिशत से ज्यादा की गिरावट दर्ज की गई और उसका मार्केट कैप 1484 करोड़ रुपये तक घट गया.