2024 की शुरुआत आईटी कर्मचारियों के लिए अच्छी नहीं है. अपने मार्जिन में सुधार के लिए आईटी कंपनी विप्रो जल्द ही सैकड़ों मीडियम लेवल के कर्मचारियों की छंटनी करेगी. सूत्रों के मुताबिक भारत में सूचीबद्ध चार सबसे बड़ी आईटी सेवा कंपनियों में विप्रो का मार्जिन सबसे कम है. दिसंबर तिमाही में इसका मार्जिन 16% रहा. जबकि अन्य आईटी कंपनी जैसे- टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज, इंफोसिस और एचसीएल टेक्नोलॉजीज ने क्रमशः 25%, 20.5% और 19.8% का मार्जिन दर्ज किया. ऐसे में खुद को सही स्थिति में लाने के मकसद से कंपनी छंटनी की योजना बना रही है.
एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक छंटनी की सूचना संबंधित कर्मचारियों को इसी महीने की शुरुआत में भेजी जानी शुरू हो गई हैं. सैकड़ों मीडियम लेवल के कर्मचारियों को नौकरी से निकाला जा रहा है. कंपनी अपने मार्जिन को सुधारने की कोशिश कर रही है, साथ ही यह अपने विकास नेतृत्व और बाजार में अपने दबदबे को फिर से हासिल करने में जुटी हुई है.
नौकरी में कटौती की जानकारी रखने वाले एक दूसरे सूत्र ने कहा कि यह ‘लेफ्ट-शिफ्ट’ रणनीति का हिस्सा है. लेवल 3 के कर्मचारी का काम लेवल 2 के कर्मचारी को दे दिया जाता है. वहीं लेवल 1 का कर्मचारी लेवल 2 के कर्मचारी का काम करता है और लेवल 1 के कर्मचारी का काम स्वचालित होता है. नौकरी में कटौती का कारण वरिष्ठ प्रतिभा को खोना भी है.
सूत्रों का कहना है कि कंपनी के पास बहुत महंगे संसाधन हैं, और विकास भी हो रहा है, लेकिन यह पर्याप्त नहीं है. इस तिमाही में बेहतर मार्जिन दिखाने का काम विप्रो मुख्य वित्तीय अधिकारी, अपर्णा अय्यर को सौंपा गया है. विप्रो ने 2021 में 1.45 अरब डॉलर में कंसल्टिंग फर्म कैपको का अधिग्रहण किया था, जिससे यह सीईओ थिएरी डेलापोर्टे का सबसे बड़ा दांव बन गया. हालांकि कोविड के बाद विकास में गिरावट आई.
विप्रो के प्रवक्ता ने एक इंटरव्यू में कहा कि बदलते बाजार महौल के साथ अपने व्यवसाय और प्रतिभा को जोड़ना कंपनी रणनीति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है. वे एक लचीला, चुस्त और उच्च प्रदर्शन वाला संगठन बनाना चाहते हैं. विप्रो बेहतर ग्राहक और कर्मचारी अनुभव प्रदान करने और तेजी से विकसित हो रहे ग्राहक और बाजार की जरूरतों को पूरा करने पर ध्यान दे रही है.