Fixed Deposit: गिरती ब्याज दरों के बावजूद, बड़ी संख्या में लोगों के लिए फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) पसंदीदा निवेश विकल्प बना हुआ है. उम्र चाहे जो भी हो, भारत में ज्यादातर लोग अपना पैसा बैंक FD में लगाना पसंद करते हैं, क्योंकि ये सुरक्षित हैं और यहां पर रिटर्न अनिश्चित नहीं है. लेकिन फिक्स्ड डिपॉजिट के साथ लिक्विडिटी एक दिक़्कत बन जाती है, जो आपका नुकसान भी करवा सकती है. क्योंकि कोई नहीं जानता कि मेडिकल इमरजेंसी की स्थिति में अचानक कब पैसों की जरूरत हो सकती है.
ऐसे में अगर आप FD से समय से पहले पैसे निकालते हैं, तो आपको पेनल्टी का सामना करना पड़ सकता है. लेकिन कुछ विशेष प्रकार के फिक्स्ड डिपॉजिट भी हैं, जिन पर समय से पहले निकासी के मामले में भी कोई जुर्माना नहीं लगता है. एसबीआई, एचडीएफसी, बीओबी, आईसीआईसीआई, एक्सिस, कोटक महिंद्रा, पीएनबी जैसे कुछ बैंक यह सुविधा प्रदान करते हैं. इसे ‘स्वीप-इन’ फैसिलिटी कहा जाता है. यह सुविधा आम तौर पर सेविंग अकाउंट से जुड़ी होती है. कुछ बैंक इसे 2 इन 1 अकाउंट भी कहते हैं.
जानिए कैसे काम करती है ये स्वीप इन सर्विस
ये एक ऑटोमैटिक स्पेशल सेविंग अकाउंट है, जिनमें आपके सरप्लस फंड को फिक्स डिपाजिट में डाल दिया जाता है. जिससे आपको अच्छा ब्याज मिलता है. इसकी खास बात यह भी है कि जब आपको पैसो की जरूरत होती है तो ये फंड में डाली गई रकम अपने आप सेविंग अकाउंट में आ जाएगी. इससे खाते में लो बैलेंस की दिक्क्त भी नहीं रहेगी. इस स्पेसिफिक ‘स्वीप-इन’ सुविधा के लिए विभिन्न बैंकों में इसके अलग-अलग नाम हैं. उदाहरण के लिए, एसबीआई का सेविंग प्लस अकाउंट मूल रूप से इसी उद्देश्य पर काम करता है. सेविंग अकाउंट में से 1,000 रुपये से अतिरिक्त राशि ऑटोमैटिकली ही स्वीप इन अकाउंट में चली जाती है. एचडीएफसी बैंक इसे स्वीप-इन फिक्स्ड डिपॉजिट के रूप में पेश करता है, जबकि आईसीआईसीआई बैंक इसे फ्लेक्सी डिपॉजिट कहता है.
जानिए क्या है स्वीप इन और फिक्स डिपॉजिट में अंतर
स्वीप-इन और फिक्स डिपॉज़िट के बीच एकमात्र अंतर यह है कि स्वीप-इन में बैंक सरप्लस फंड को स्वीप करने के लिए फिक्स्ड डिपाजिट को ऑटोमैटिक रूप से खोलता है, जबकि फिक्स डिपाजिट में ग्राहक को मैन्युअल रूप से फिक्स्ड डिपाजिट शुरू करने की मंजूरी देनी होती है.
जरूरत पड़ने पर FD से स्पेसिफिक राशि सेविंग अकाउंट में आती है और आप इसका उपयोग कर सकते हैं. इस पर बैंक निकासी पर कोई जुर्माना नहीं लगता है.
एक उदाहरण से समझते हैं
स्वीप-इन खाते में खाताधारक को न्यूनतम राशि तय करनी होती है, जिसे वह अपने सेविंग अकाउंट में रखना चाहता है. इसके अलावा जो भी राशि होगी, वह ऑटोमैटिकली ही उनके FD में ट्रांसफर हो जाएगी. इसके अलावा, जब खाताधारक को धन की आवश्यकता होती है, तो बैंक केवल बचत खाते में धनराशि ट्रांसफर (स्वीप-इन) करते हैं.
उदाहरण के लिए यदि आपके बचत खाते में 2 लाख रुपये हैं और आप 50 हजार रुपये की सीमा निर्धारित करते हैं. तो बाकी 1.5 लाख रुपये आपके फिक्स्ड डिपॉजिट एकाउंट्स में ट्रांसफर हो जाएंगे और अगर आपको 50,000 रुपये से अधिक की जरूरत है, तो आपके डिपॉजिट एकाउंट्स से बिना किसी पेनल्टी के आपके बचत खाते में धनराशि ट्रांसफर करके घाटे की पूर्ति की जाएगी. FD में शेष राशि पर अवधि के अनुसार समान ब्याज दर प्राप्त होगी.
जानिए क्या है स्वीप इन अकाउंट के फायदे
‘स्वीप-इन’ सुविधा का लाभ यह है कि यह एक अलग फण्ड बनाता है, जिसे आप इमरजेंसी के दौरान, अपने नियमित निवेश को छुए बिना या FD को समाप्त किए बिना निकाल सकते हैं और इसके लिए बैंक द्वारा कोई जुर्माना नहीं लगाया जाएगा.
इसके अलावा, FD में शेष राशि पर पहले की तरह ही ब्याज मिलेगा. यह सुविधा उन लोगों के लिए अच्छी तरह से काम करती है, जो अपने बचत खाते में पर्याप्त बैलेंस बनाए रखते हैं.
याद रखने वाली बातें
आपको बता दें कि केवल कुछ बैंक ही ग्राहकों को सीमा निर्धारित करने का अवसर देते हैं, जबकि अन्य बैंको में 20,000 रुपये से 1 लाख रुपये के बीच की एक निश्चित सीमा होती है. थ्रेशोल्ड सीमा के अलावा, अधिकांश बैंक बचत खाते में न्यूनतम औसत शेष राशि 1,000 रुपये से 20,000 रुपये तक बनाए रखने के लिए भी कहते हैं.
साथ ही आप अपने FD खाते की अधिकतम और न्यूनतम अवधि की जांच करें, क्योंकि स्वीप-इन FD की अवधि अधिकतर एक से पांच वर्ष के बीच तय की जाती है. आईटी अधिनियम की कुछ धारा के तहत सेविंग अकाउंट और फिक्स डिपाजिट में अर्जित ब्याज को सालाना 10 हजार रुपये तक टैक्स में छूट दी गई है.
पर्सनल फाइनेंस पर ताजा अपडेट के लिए Money9 App डाउनलोड करें।
Money9 Summit: Elixir Equities Founder और BSE, NSE, CDSL सदस्य Dipan Mehta के साथ खास बातचीत
Updated:March 15, 2023Money9 Summit: क्या Financial Inclusion को बढ़ावा दे पाएंगी फिनटेक कंपनियां?
Updated:March 15, 2023Money9 Summit: Mutual Fund इंडस्ट्री के लिए कैसा रहेगा भविष्य?
Updated:March 15, 2023Money9 Summit: सौगत भट्टाचार्य, सिद्धार्थ सान्याल, रजनी सिन्हा और अतुल जोशी से खास बातचीत
Updated:March 15, 2023Money9 Summit: सुभ्रजीत मुखोपाध्याय, वेंकटेश नायडू, हर्ष रूंगटा और प्रिया देशमुख से चर्चा
Updated:March 15, 2023Money9 Summit: Edelweiss AMC की MD और CEO राधिका गुप्ता के साथ खास चर्चा
Updated:March 15, 2023Money9 Summit में वाणिज्य राज्य मंत्री Anupriya Patel के साथ चर्चा
Updated:March 15, 2023