नई पीढ़ी के लोग जो डिजिटल क्रांति के दौर में बड़े हुए हैं और इंटरनेट के जरिए सारी चीजों की जानकारी महज एक क्लिक में हासिल कर लेते हैं. ऑनलाइन ज्ञान के इसी भंडार के आधार पर आजकल युवा पीढ़ि निवेश को लेकर खुद ही फैसला ले लेते हैं. इसके लिए वे अपने परिवार के सदस्यों या वित्तीय सलाहकारों से परामर्श नहीं लेते हैं. युवा वर्ग के लिए DIY यानी इसे खुद से करों के आधार पर करते हैं. इसके लिए वे मुख्य रूप से ऑनलाइन ऐप का सहारा लेते हैं, जहां निवेशकों को कम लागत वाले निवेश और तेजी से इसमें फायदा होने की बात बताई जाती है.
DIY निवेश (Investment) से निवेशकों का कॉन्फीडेंस बढ़ता है. साथ ही ये निवेश के कई मौके भी देता है. इसके अलावा ये तरीका अपनाने से निवेशक को खुद से पैसा इंवेस्ट (Invest) करने के बारे में काफी कुछ सीखने को मिलता है. कई बार ये देखा गया है कि निवेशक पोर्टफोलियों में ऐसी चीजों को शामिल कर लेते हैं जिसके चलते उन्हें नुकसान उठाना पड़ता है या उन्हें बहुत कम फायदा होता है. इससे उनका लक्ष्य पूरा नहीं हो पाता है.
ऐसी अस्थिरता किसी भी क्षेत्र में निवेश को लेकर जोखिम की स्थिति पैदा करता है. DIY निवेशक अक्सर जोखिम के डर से संघर्ष करते हैं. यही वजह है कि वे निवेश से जुड़े जोखिम की पहचान करने में असफल रहते हैं. अपने पोर्टफोलियों को बेहतर बनाने और रिस्क को कम करने के लिए अपनी बचत में विविधता लाना होगा.
किसी भी युवा वर्ग के व्यक्ति को निवेश से पले कुछ खास बातों का ध्यान रखना जरूरी है, वो इस प्रकार हैं.
लॉन्ग टर्म के लिए बेहतर फंड बनाने के लिए जोखिम प्रबंधन बेहद जरूरी है. जोखिम को कम करने के लिए लक्ष्यों का निर्धारण और शॉर्ट टर्म और लॉन्ग टर्म में उनको बांटा जा सकता है. इसके बाद निवेशकों को लक्ष्यों को पूरा करने के लिए सही निवेश स्कीम का चुनाव करना चाहिए. बेहतर इंवेस्टमेंट के लिए एक अनुशासित दृष्टिकोण और धैर्य बहुत जरूरी है क्योंकि लंबे समय के लिए इंवेस्ट किए गए पैसों के मामले में शॉर्ट टर्म में आई हलचल से आपकी प्लानिंग में हलचल मचा सकती है.
आपको किसी स्कीम में निवेश करना चाहिए ये बेहद आवश्यक है. इंवेस्टमेंट के लिए इक्विटी, डेट, सोना, रियल एस्टेट और मनी मार्केट फंड आदि पॉपुलर विकल्प मौजूद हैं. वहीं इक्विटी निवेश बड़े रिटर्न देती है, हालांकि इसमें ज्यादा अस्थिरता और जोखिम भी होता है. ?इक्विटी निवेश में टेम्पररी अस्थिरता का अनुभव हो सकता है. समय के साथ इसमें सुधार होता है. वहीं दूसरी ओर डेब्ट फंड में स्थिर रिटर्न प्रदान करता है.
इसलिए अपने उद्देश्यों को लॉन्ग टर्म और शॉर्ट टर्म के आधार पर बांट देना चाहिए. लंबे समय के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए इक्विटी को एक निवेश माध्यम के रूप में उपयोग किया जाना चाहिए. इसमें कंपाउंडिंग इंटरेस्ट का ज्यादा लाभ मिलता है.
इसके अलावा अपने निवेश को पिछले रिकॉर्ड्स के आधार के बजाय उसकी भविष्य की क्षमता के हिसाब से इंवेस्ट करें. अक्सर यह देखा गया है कि नई पीढ़ि अपना ज्यादातर पैसा सोने या रियल एस्टेट जैसी भौतिक संपत्तियों पर खर्च करते हैं और वित्तीय संपत्तियों को प्राथमिकता नहीं देते हैं, जिसके परिणामस्वरूप पोर्टफोलियो में जोखिम बढ़ जाता है.
शॉर्ट टर्म और लॉन्ग टर्म उद्देश्यों को हासिल करने के लिए जोखिम का ध्यान रखते हुए अपने पोर्टफोलियों में भौतिक और वित्तीय संपत्तियों को बैलेंस्ड तरीके से शामिल करें.
नई पीढ़ि को अपने भविष्य को सुरक्षित बनाने के लिए जल्द से जल्द रिटायरमेंट के लिए निवेश करना शुरू कर देना चाहिए. इसके लिए सबसे पहले, एक छोटे बचत से शुरुआत करें. ये बाद में एक बड़ा फंड बन सकता है. इससे लंबी अवधि में फायदा होगा. कुछ दूसरे निवेशों जैसे— इक्विटी म्यूचुअल फंड में मासिक एसआईपी, राष्ट्रीय पेंशन योजना (एनपीएस) में भागीदारी, या पीपीएफ/ईपीएफ विकल्पों के जरिए भी एक रिटायरमेंट फंड जोड़ा जा सकता है.
इमरजेंसी फंड एक ऐसी राशि है जो अचानक होने वाली आपदाओं जैसे— नौकरी छूटने या चिकित्सा आदि के दौरान जरूरत पड़ती है. ऐसे हालात से बचने के लिए इमरजेंसी फंड के रूप में छह से बारह महीने के मासिक खर्च तक की बचत करनी चाहिए।.
शॉर्ट टर्म डेट म्यूचुअल फंड का उपयोग करके भी अपना इमरजेंसी फंड बना सकते हैं. क्योंकि इसमें कैश ज्यादा होता है. इसके अलावा अपने इमरजेंसी फंड को चार या पांच अन्य वर्गों में भी बांटा जा सकता है. ये छोटी-छोटी बचत आपकी जरूरतों को पूरा करने के काम आएंगी. इससे आपका बड़ा अमाउंट सुरक्षित रहेगा.
स्वास्थ्य और इंवेस्टमेंट आइटम्स के लिए जोखिम की स्थिति अलग—अलग होती है. इसलिए स्वास्थ्य और निवेश उत्पादों के बीच अंतर करना आना चाहिए. कोरोना महामारी में स्वास्थ्य बीमा कवरेज की जरूरत को बढ़ा दिया है. स्वास्थ्य बीमा के साथ-साथ, जीवन बीमा पॉलिसी को लेना भी उतना ही जरूरी है. इसके लिए टर्म प्लान जैसे जीवन बीमा कवरेज ली जा सकती है, जिससे आश्रितों के भविष्य की रक्षा करने में मदद मिल सके.
निवेश साधन का चुनाव करते समय टैक्स प्लानिंग का ध्यान रखना भी जरूरी है. इसलिए अपने लक्ष्यों के अनुसार इसकी तैयारी करें. ये करों को कम करने और लॉन्ग टर्म लक्ष्यों के साथ आपको निवेश उत्पाद चुनने में सक्षम बनाता है. हर छह महीने या सालाना, पूरे पोर्टफोलियो की जांच करना जरूरी है.
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