कोविड-19 के दौरान ठप पड़ी रेल व्यवस्था को संभालने के लिए भारतीय रेलवे ने वरिष्ठ नागरिकों को दी जाने वाली ट्रेन किराए में रियायतें वापस ले ली थी. इससे रेलवे की कमाई में बढ़ गई. सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत मिली प्रतिक्रियाओं में खुलासा हुआ कि छूट खत्म किए जाने से रेलवे को 5,800 करोड़ रुपए से ज्यादा का मुनाफा हुआ है.
मध्य प्रदेश स्थित चंद्र शेखर गौड़ की ओर से आरटीआई अधिनियम के तहत दायर किए गए कई आवेदनों से पता चला है कि 20 मार्च, 2020 से 31 जनवरी, 2024 तक रेलवे ने 5,875 करोड़ से ज्यादा का अतिरिक्त राजस्व हासिल किया है. पहले आवेदन में रेलवे ने 20 मार्च, 2020 से 31 मार्च, 2022 तक का अतिरिक्त राजस्व डेटा दिया. दूसरे आवेदन में 1 अप्रैल, 2022 से 31 मार्च, 2023 तक का डेटा साझा किया गया. वहीं फरवरी 2024, 1 अप्रैल, 2023 से 31 जनवरी, 2024 तक का डेटा भेजा गया है. डेटा के मुताबिक चार वर्षों में लगभग 13 करोड़ पुरुष, नौ करोड़ महिलाएं और 33,700 ट्रांसजेंडर वरिष्ठ नागरिकों ने लगभग 13,287 करोड़ रुपए का कुल राजस्व चुकाकर ट्रेन यात्राएं की हैं.
छूट के मानक
कोविड काल से पहले रेलवे, महिला यात्रियों को ट्रेन किराए में 50 प्रतिशत, वहीं पुरुष और ट्रांसजेंडर वरिष्ठ नागरिक यात्रियों को 40 प्रतिशत की छूट देता था. रेलवे मानदंडों के अनुसार 60 वर्ष और उससे अधिक उम्र के पुरुष, ट्रांसजेंडर और 58 वर्ष और उससे ज्यादा उम्र की महिलाएं वरिष्ठ नागरिक मानी जाती हैं. हालांकि, रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने रियायत खत्म करने पर पहले कोई सीधा जवाब नहीं दिया था. उनका कहना है कि भारतीय रेलवे प्रत्येक रेल यात्री को ट्रेन किराए पर 55 प्रतिशत छूट देता है. अगर किसी गंतव्य के लिए ट्रेन टिकट की कीमत 100 रुपए है, तो रेलवे केवल 45 रुपए चार्ज कर रहा है.
Published - April 2, 2024, 12:47 IST
पर्सनल फाइनेंस पर ताजा अपडेट के लिए Money9 App डाउनलोड करें।