भारतीय विमानों की तैनाती में कमी के चलते माल को लाना और ले जाना मुश्किल हो गया है. जिसके चलते इसका दायरा भी सीमित हो गया है. निर्यातकों की इसी चिंता को ध्यान में रखते हुए भारतीय सरकार ने 2020 में लगाए गए प्रतिबंधों को हटा दिया है. सरकार ने विदेशी एयरलाइनों को देश के सभी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डों से तीन साल के लिए नॉन शेड्यूल कार्गों उड़ानें संचालित करने की अनुमति दे दी है. इससे मांग को पूरा करने में मदद मिलेगी.
बता दें भारत ने कोरोना काल के दौरान 2020 में विदेशी एयरलाइनों को छह प्रमुख शहरों जैसे- दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु, हैदराबाद, कोलकाता और चेन्नई में विमान सेवा संचालित करने पर रोक लगा दी थी. मगर अब इसे हटाने का निर्णय लिया गया है. नागरिक उड्डयन महानिदेशालय ने 12 फरवरी को एक सर्कुलर जारी कर कहा है कि विदेशी कार्गो वाहक के लिए ओपन स्काई नीति की समीक्षा की गई है. एयर कार्गो को सुविधाजनक बनाने और भारतीय एयरलाइनों को अपनी क्षमता विकसित करने के लिए पर्याप्त समय दिया जा रहा है. इसी के चलते सभी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डों पर तीन साल की अवधि के लिए विदेशी और गैर-अनुसूचित मालवाहक चार्टर सेवा के संचालन की अनुमति दी जा रही है.
पैसे के लिए बढ़ी कार्गो विमान पर निर्भरता
ओपन स्काई पॉलिसी के तहत भारत में विदेशी एयरलाइनों के आवाजाही की अनुमति मिलती है. 2020 में कोरोना के समय उड़ानें काफी प्रभावित हुई थीं. यात्री उड़ानों से विमानन कंपनियों को न्यूनतम आय हो रही थी. ऐसे में भारतीय एयरलाइंस को बढ़ावा देने के लिए 2020 में नीति में बदलाव किया गया और विदेशी कार्गों सेवा पर रोक लगाई गई. ऐसा करने से भारतीय एयरलाइन पैसे कमाने के लिए कार्गों विमान सेवा पर निर्भर हो गए. स्पाइसजेट और इंडिगो उन स्थानीय वाहकों में से हैं, जिन्होंने यात्री विमानों को मालवाहक विमानों में बदल दिया. उन्होंने एयर कार्गो में उछाल का लाभ उठाने के लिए मालवाहक विमानों को बेड़े में शामिल करने की मांग की थी. हालांकि बाद में निर्यातकों ने बार-बार नीति को बदलने की मांग की, क्योंकि समुद्री उत्पादों जैसे अन्य खराब होने वाली वस्तुओं की ढुलाई की लागत बढ़ गई थी.