यूरोपीय संघ (ईयू) द्वारा इस्पात जैसे कुछ क्षेत्रों से आयात पर कार्बन कर लगाने के फैसले पर गंभीर चिंता जताते हुए वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने घरेलू उद्योग को भरोसा दिलाया है कि भारत इस तरह के अनुचित कर को स्वीकार नहीं करेगा और उत्पादकों और निर्यातकों के संरक्षण के लिए कदम उठाएगा. गोयल ने कहा है कि भारत पहले ही यूरोपीय संघ और विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) में कार्बन कर पर अपनी चिंता जता चुका है.
कॉर्बन सीमा समायोजन तंत्र (सीबीएएम) या कार्बन कर (एक तरह का आयात शुल्क) एक जनवरी, 2026 से लागू होगा, लेकिन सात कॉर्बन गहन क्षेत्रों मसलन इस्पात, सीमेंट, उर्वरक, एल्युमीनियम और हाइड्रोकॉर्बन उत्पाद से जुड़ी घरेलू कंपनियों को इस साल एक अक्टूबर से ही कॉर्बन उत्सर्जन के आंकड़ों को यूरोपीय संघ के साथ साझा करना है. गोयल ने कहा कि मैं आपको भरोसा दिलाता हूं कि हम सीबीएएम को लेकर अत्यंत चिंतित हैं. हम डब्ल्यूटीओ के साथ इसे काफी गंभीरता से उठा रहे हैं. हम भारतीय उत्पादकों तथा निर्यातकों के लिए इसे उचित बनाने के लिए संघर्ष करेंगे. सीबीएएम को लेकर कोई कोताही नहीं होगी.
मंत्री ने कहा कि दुनिया को इस कर पर विचार करना होगा और भारत इस ‘बहुत गंभीर’ चिंता को दूर करने के लिए अन्य देशों को साथ लेगा. उन्होंने कहा कि हम हमेशा नवोन्मेषी समाधान ढूंढेंगे लेकिन मैं आपको आश्वस्त कर सकता हूं कि देश भारतीय इस्पात या एल्युमीनियम उद्योग या किसी अन्य उद्योग पर लगाए जा रहे अनुचित कर या शुल्क को स्वीकार नहीं करेगा. उन्होंने कहा कि इसको लेकर घबराने की जरूरत नहीं है, हम ऐसा समाधान तलाशेंगे जो आगे चलकर हमारे फायदे का होगा.
उन्होंने कहा कि यूरोपीय संघ को इस मुद्दे पर हमें ‘साझा लेकिन अलग जिम्मेदारी’ देनी होगी क्योंकि भारत एक विकासशील अर्थव्यवस्था है. शोध संस्थान ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (जीटीआरआई) की एक रिपोर्ट के अनुसार, पहली जनवरी, 2026 से यूरोपीय संघ में चुनिंदा आयात पर सीबीएएम 20 से 35 प्रतिशत कर में तब्दील हो जाएगा.