विदेशों में दो पॉपुलर भारतीय मसाला कंपनियों के प्रोडक्टों पर उठे सवाल के बाद से भारत काफी सतर्क हो गया है. ऐसे में सरकार ने इंटरनेशनल समिति को मसालों में एथिलीन ऑक्साइड के उपयोग की मात्रा तय करने की जिम्मेदारी सौंपी है.
एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने बुधवार को कहा कि उपभोक्ताओं के स्वास्थ्य की रक्षा के लिए अंतरराष्ट्रीय खाद्य मानक तय करने, दिशानिर्देश जारी करने और व्यापार में उचित व्यवस्था का पालन करने के लिए एक अंतरराष्ट्रीय संगठन बनाया गया है. इसमें केरल स्थित कोडेक्स कमेटी (सीसीएससीएच) रोम के कोडेक्स एलिमेंटेरियस कमेटी का हिस्सा होगी.
एथिलीन ऑक्साइड से सेहत को खतरा
एथिलीन ऑक्साइड का उपयोग आमतौर पर कीटाणुनाशक, स्टरलाइज़िंग एजेंट के साथ-साथ मसालों में माइक्रोबियल कंटैमिनेशन को कम करने के लिए कीटनाशक के रूप में किया जाता है. मगर तय सीमा से ज्यादा इसका उपयोग सेहत के लिए हानिकारक माना जाता है क्योंकि इसमें कैंसरकारी तत्व होते हैं. विभिन्न देशों में मसालों में एथिलीन ऑक्साइड के उपयोग की अलग-अलग सीमाएं हैं. इसलिए भारत ने एथिलीन ऑक्साइड परीक्षण के लिए मानकों को अंतिम रूप देने का भी प्रस्ताव रखा है.
निर्यातकों के लिए मसाला बोर्ड के दिशानिर्देश
मसाला बोर्ड ने विदेशी क्षेत्रों में भारतीय मसाला निर्यात की सुरक्षा और गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए अहम दिशानिर्देश जारी किए हैं. बोर्ड ने यह कदम भारतीय कंपनियों एवरेस्ट और एमडीएच की जांच के दायरे में आने के बाद उठाया है. बोर्ड के मुताबिक सिंगापुर और हांगकांग के लिए सभी मसाला शिपमेंट के लिए मसालों का अनिवार्य नमूनाकरण और परीक्षण लागू किया है. इसके लिए मसाला बोर्ड ने 130 से अधिक निर्यातकों और संघों को शामिल करते हुए एक हितधारक परामर्श का आयोजन भी किया था. बता दें सिंगापुर और हांगकांग ने कथित तौर पर कैंसर पैदा करने वाले कीटनाशक एथिलीन ऑक्साइड के ऊंचे स्तर के कारण एमडीएच और एवरेस्ट के मसालों की बिक्री रोक दी है.