इजरायल-हमास युद्ध की वजह से लाल सागर में जो तनाव बढ़ा है, वह अगर लंबा चलता है तो भारत के विदेश व्यापार के लिए दिक्कत बढ़ सकती है. इस तनाव की वजह से भारत में आयात तो महंगा हो ही रहा है, साथ में निर्यात भी महंगा पड़ रहा है जिस वजह से विदेशों, खासकर यूरोप में पहुंचने वाला भारतीय सामान महंगा होने आशंका जताई जा रही है. हालांकि अधिकारियों के मुताबिक फिलहाल करीब 1 महीने की इनवेंट्री पड़ी हुई है और 1 महीने तक दिक्कत नहीं होगी, लेकिन तनाव ज्यादा बढ़ा तो भारतीय व्यापार के लिए चुनौती बन सकती है.
वित्तवर्ष 2022-23 के दौरान भारत में जितना कच्चा तेल इंपोर्ट हुआ है उसका करीब 65 फीसद हिस्सा स्वेज नहर के रास्ते भारत पहुंचा है, स्वेज नहर से ही सामान लाल सागर पहुंचता है और उसके बाद हिंद महासागर होते हुए भारत के तटों पर सप्लाई होता है. इसी तरह भारत से एक्सपोर्ट होने वाला सामान लाल सागर होकर स्वेज नहर से यूरोप और पश्चिम के दूसरे क्षेत्रों में सप्लाई होता है.
इजरायल-हमास युद्ध की वजह से यमन के हूति विद्रोहियों ने लाल सागर के रास्ते आने-जाने वाले मालवाहक जहाजों पर हमले शुरू कर दिए हैं. जिस वजह से मालवाहक जहाज स्वेज नहर के रास्ते को छोड़ अफ्रीका के केप ऑफ गुड होप होकर आवाजाही कर रहे हैं, इस रास्ते के इस्तेमाल में माल की सप्लाई के लिए 14 दिन ज्यादा समय लग रहा है, साथ में लागत भी ज्यादा है. यही वजह है कि यह तनाव लंबा चला तो भारत के विदेश व्यापार पर बड़ी चोट पहुंचेगी. कुछ रिपोर्ट्स के मुताबिक तनाव की वजह से भारत का सालाना एक्सपोर्ट करीब 30 अरब डॉलर घट सकता है.
लाल सागर के तनाव की वजह से भारत के सामने बढ़ी चुनौती के आकलन और इससे निपटने के लिए रणनीति तैयार करने के लिए 17 जनवरी को मंत्रालय स्तर की बातचीत होगी. इस बीच खबर ये भी है कि निर्यात के लिए भारत की तरफ से किसी वैकल्पिक रूट पर काम किया जा रहा है. उधर भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ईरान यात्रा पर हैं और माना जा रहा है कि अपनी यात्रा के दौरान वे इस मुद्दे को उठा सकते हैं. ईरान को हूति विद्रोहियों का समर्थक माना जाता है.
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