सूचना और संचार प्रौद्योगिकी (ICT) आयात शुल्क मामले पर भारत और यूरोपीय संघ के बीच समझौता वार्ता सात महीने बाद टूट गई है. भारत ने विश्व व्यापार संगठन (WTO) के व्यापार विवाद निपटान पैनल के फैसले के खिलाफ अपील की है. भारत ने यह कदम दोनों क्षेत्रों की ओर से अपनाए जाने वाले परस्पर सहमति समाधान (MAS) में हल न मिलने के चलते उठाया है.
वाणिज्य मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव पीयूष कुमार ने बताया कि एमएएस के हिस्से के रूप में, यूरोपीय संघ कुछ वस्तुओं पर सीमा शुल्क रियायतों की मांग कर रहा था. ये भारत को स्वीकार्य नहीं था क्योंकि ये डब्ल्यूटीओ नियमों का उल्लंघन करता है. बता दें भारत और यूरोपीय संघ पिछले सात महीनों से एमएएस पर पहुंचने के लिए बातचीत कर रहे हैं, लेकिन यूरोपीय संघ ने 7 दिसंबर को पैनल रिपोर्ट को अपनाने के लिए आवेदन किया है, इसलिए भारत ने 8 दिसंबर को डब्ल्यूटीओ में इसके खिलाफ अपील की है. कुमार ने कहा, ये रियायतें केवल फ्री ट्रेड समझौते में ही दी जा सकती हैं.
सितंबर में यूरोपीय संघ ने डब्ल्यूटीओ के विवाद निपटान निकाय से 18 दिसंबर तक मोबाइल फोन और घटकों, बेस स्टेशनों, एकीकृत सर्किट और ऑप्टिकल उपकरणों जैसे कुछ आईसीटी उत्पादों पर भारत सरकार के आयात शुल्क के खिलाफ फैसला नहीं अपनाने को कहा था. मामले को सुलझाने के लिए दोनों क्षेत्रों के बीच द्विपक्षीय वार्ता आयोजित की गई. पैनल ने अप्रैल में फैसला सुनाया था कि कुछ सूचना और प्रौद्योगिकी (ICT) उत्पादों पर भारत की ओर से लगाया गया आयात शुल्क वैश्विक व्यापार मानदंडों का उल्लंघन है.