आज के समय पर लोगों के 4-5 अकाउंट होना नॉर्मल-सी बात हो गई. ऐसे में सारे अकाउंट पर ध्यान रखना मुश्किल हो जाता है. इसी के चलते कुछ अकाउंट ध्यान से उतर जाते हैं.12-15 साल बीत जाते हैं तब पुरानी अलमारी में कोई कागज ढूंढते वक्त पासबुक मिलने पर हमें होश आता है. इसी तरह, फिर कई लोगों को परिवार के किसी सदस्य के दुनिया में न रहने पर उनके किसी बैंक अकाउंट का पता चलता है, जिसमें लाखों रुपए तक हो सकते हैं. बैंक के ऐसे सेविंग्स या करंट अकाउंट, जिनमें 10 साल से कोई ट्रांजैक्शन यानी लेनदेन नहीं हुआ है या फिर ऐसे टर्म डिपॉजिट यानी फिक्स्ड डिपॉजिट और रेकरिंग डिपॉजिट, जिसमें मैच्योरिटी की तारीख से 10 साल के अंदर क्लेम नहीं किया गया है ऐसे खातों को ‘अनक्लेम्ड डिपॉजिट’ की श्रेणी में रखा जाता है. 10 साल या उससे ज्यादा समय से नहीं चल रहे खातों में पड़े पैसों को बैंक रिजर्व बैंक यानी RBI के डिपॉजिटर एजुकेशन एंड अवेयरनेस (DEA) फंड में जमा कर देते हैं.
ताजा सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, पब्लिक सेक्टर यानी सरकारी बैंकों ने फरवरी 2023 तक करीब 35,000 करोड़ रुपए का अनक्लेम्ड डिपॉजिट यानी लावारिस पैसा रिजर्व बैंक को ट्रांसफर किया है. भारतीय स्टेट बैंक 8,086 करोड़ रुपए के लावारिस जमा के साथ शीर्ष पर था. पंजाब नेशनल बैंक में यह आंकड़ा 5,340 करोड़, कैनरा बैंक में 4,558 करोड़ और बैंक ऑफ बड़ौदा में 3,904 करोड़ रुपए था.
लावारिस धन का पता लगाने की प्रक्रिया अब बहुत मुश्किल नहीं है. रिजर्व बैंक की गाइडलाइंस के अनुसार, हर बैंक के लिए अपनी वेबसाइट पर अनक्लेम्ड डिपॉजिट की जानकारी शेयर करना जरूरी है. यह पता लगाने के लिए कि क्या बैंक के पास कोई आपका कोई लावारिस पैसा पड़ा है, आपको बस खाता धारक का नाम और कुछ अन्य जानकारियां जैसे पता, पिन कोड या फ़ोन नंबर टाइप करना होगा.इससे आपको अपने अनक्लेम्ड डिपॉजिट की जानकारी मिल जाएगी.
बिना दावे वाली रकम को जमाकर्ता तक पहुंचाने के लिए रिजर्व बैंक ने हाल ही में एक केंद्रीय व्यवस्था शुरू की है… इसका नाम ‘उद्गम’ (UDGAM) पोर्टल है. इसकी मदद से आप एक ही जगह पर कई बैंकों में पड़ी अपनी लावारिस जमा रकम का पता लगा सकते हैं. इसके लिए आपको पोर्टल पर फोन नंबर, नाम जैसी डिटेल्स डालकर रजिस्टर करना होगा. अब तक 30 बैंक उद्गम पोर्टल से जुड़ चुके हैं… इनमें SBI, PNB, बैंक ऑफ बड़ौदा जैसे सरकारी बैंक. HDFC, ICICI, एक्सिस बैंक जैसे प्राइवेट बैंक और सिटी बैंक, स्टैंडर्ड चार्टर्ड और HSBC जैसे विदेशी बैंक शामिल हैं.
अगर अनक्लेम्ड अकाउंट की लिस्ट में आपका नाम है तो आपको होम ब्रांच में संपर्क करना होगा और क्लेम फॉर्म भरना होगा. इसके साथ डिपॉजिट स्लिप और KYC से जुड़े दस्तावेज जमा करने होंगे. कस्टमर चाहे तो खाते को वापस चालू करवा सकता है या फिर क्लेम अमाउंट निकालकर खाते को बंद कर सकता है. अगर खाता धारक की मौत हो चुकी है तो उस केस में कानूनी उत्तराधिकारी या नॉमिनी को खाता धारक का डेथ सर्टिफिकेट समेत अन्य दस्तावेज भी जमा करने होंगे. पेमेंट करने से पहले बैंक क्लेम की Authenticity यानी सत्यता चेक करेंगे. क्लेम सही पाए जाने पर पैसा आपको मिल जाएगा.
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