वित्तीय संकट से जूझ रही टेलीकॉम कंपनी वोडाफोन आइडिया की इस बार दिवाली शुभ होने वाली है. बम्बई हाई कोर्ट ने आयकर विभाग को, वोडाफोन आइडिया लिमिटेड को मूल्यांकन वर्ष 2016-2017 के लिए करों के रूप में भुगतान किए गए 1,128 करोड़ रुपए वापस करने का निर्देश दिया है. अदालत के इस फैसले के बाद बीएसई पर वोडाफोन आइडिया के शेयरों में तेजी आई है. वोडाफोन आइडिया के शेयर 2.42 फीसदी की तेजी के साथ 13.97 रुपए के स्तर पर कारोबार कर रहे हैं. बुधवार को वोडाफोन आइडिया का शेयर बीएसई पर 13.64 रुपए पर बंद हुआ था. आज वोडाफोन आइडिया के शेयर ने 14 रुपए का स्तर भी पार किया है.
अदालत ने बुधवार को अपने फैसले में कहा कि इस साल अगस्त में विभाग द्वारा पारित मूल्यांकन आदेश समयबाधित था और इसलिए इसे बरकरार नहीं रखा जा सकता है. न्यायमूर्ति के आर श्रीराम और न्यायमूर्ति नीला गोखले की खंडपीठ ने निर्धारित 30 दिन के समय के भीतर अंतिम आदेश पारित नहीं करने में ढिलाई और सुस्ती दिखाने और इस तरह सरकारी खजाने और जनता को भारी नुकसान पहुंचाने के लिए मूल्यांकन अधिकारी के खिलाफ अप्रसन्नता जाहिर की.
अदालत ने वोडाफोन आइडिया लिमिटेड द्वारा दायर एक याचिका पर यह फैसला सुनाया. इस याचिका में दावा किया गया था कि आयकर विभाग मूल्यांकन वर्ष 2016-2017 के लिए उसके द्वारा भुगतान की गई राशि वापस करने में विफल रहा, जो उसकी आय पर देय वैध कर से अधिक थी.
पीठ ने अपने आदेश में कहा कि वोडाफोन का मामला काफी स्पष्ट था और यह आयकर अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार अपने कर्तव्यों के निर्वहन में संबंधित मूल्यांकन अधिकारी की पूर्ण उदासीनता और लापरवाही दर्शाता है. आदेश में कहा गया है कि जिम्मेदार अधिकारियों की ओर से कोई भी लापरवाही सरकारी खजाने को प्रभावित करती है और देश की समृद्धि और आर्थिक स्थिरता पर दूरगामी परिणाम डालती है.
हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि ढिलाई और सुस्ती के लिए जिम्मेदार व्यक्तियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए, जिससे सरकारी खजाने को और इसके परिणामस्वरूप इस देश के नागरिकों को भारी नुकसान हुआ है. याचिका के अनुसार, मूल्यांकन अधिकारी ने दिसंबर 2019 में मूल्यांकन वर्ष से संबंधित एक मसौदा आदेश पारित किया, जिसके खिलाफ कंपनी ने जनवरी 2020 में विवाद समाधान पैनल (डीआरपी) के समक्ष आपत्तियां दायर कीं थीं.
मार्च 2021 में, डीआरपी ने कुछ निर्देश जारी किए. वोडाफोन आइडिया लिमिटेड ने अपनी याचिका में कहा कि मूल्यांकन अधिकारी को अधिनियम के अनुसार 30 दिनों के भीतर मामले में अंतिम आदेश पारित करना चाहिए था. कंपनी ने कहा, चूंकि अधिकारी अंतिम आदेश पारित करने में विफल रहा, इसलिए वह ब्याज सहित रिफंड पाने की हकदार है. कंपनी ने यह भी कहा कि जून 2023 में राशि की वापसी के लिए हाईकोर्ट में याचिका दायर करने के बाद, मूल्यांकन अधिकारी ने अंतिम मूल्यांकन आदेश अगस्त में पारित कर दिया.
आयकर विभाग का दावा है कि फेसलेस असेसमेंट व्यवस्था के कारण उसे डीआरपी के निर्देश हासिल नहीं हुए. हालांकि हाईकोर्ट ने इसे स्वीकार करने से इनकार कर दिया और कहा कि डीआरपी निर्देश हमेशा इनकम टैक्स बिजनेस एप्लीकेशन पोर्टल पर उपलब्ध और सुलभ थे. इस बारे में कोई स्पष्टीकरण नहीं दिया गया कि मूल्यांकन अधिकारी मामले में दो साल तक निष्क्रिय और चुप क्यों रहे और याचिका दायर होने की जानकारी मिलने पर ही कार्रवाई क्यों की गई.
पीठ ने कहा कि यह मानने में कोई झिझक नहीं है कि डीआरपी निर्देशों के दो साल बाद मूल्यांकन अधिकारी द्वारा पारित 31 अगस्त, 2023 का मूल्यांकन आदेश समयबाधित है और इसे बरकरार नहीं रखा जा सकता है. अदालत ने ब्याज सहित रिफंड देने का निर्देश आयकर विभाग को दिया है.
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