सरकार ने एक सप्ताह पुराना फैसला पलट दिया है. सरकार ने फिर से आपूर्ति वर्ष 2023-24 में चीनी मिलों को एथनॉल बनाने के लिए गन्ने के रस और बी-हैवी शीरा दोनों का इस्तेमाल करने की मंजूरी दे दी है. हालांकि इसके लिए अधिकतम 17 लाख टन चीनी की सीमा तय की गई है.
सरकार ने यह फैसला एथनॉल बनाने के लिए गन्ने के रस और चीनी शीरे के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगाने के एक सप्ताह बाद किया है. दरअसल चीनी उद्योग इस फैसले को वापस लेने की मांग कर रहा था. चीनी उद्योग के प्रमुख संगठन इस्मा ने का कहना था कि एथनॉल बनाने के लिए गन्ना रस के उपयोग पर अचानक प्रतिबंध लगाने से चीनी मिलों की क्षमता उपयोग पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने से 15,000 करोड़ रुपए का निवेश खतरे में पड़ गया है. यह वह निवेश है, जिसे हरित ईंधन संयंत्र स्थापित करने के लिए पिछले तीन साल में लगाया गया.
इस्मा ने यह भी आशंका जताई थी कि सरकार के इस फैसले से गन्ना किसानों को भुगतान में देरी हो सकती है. केंद्रीय खाद्य सचिव संजीव चोपड़ा ने कहा कि आपूर्ति वर्ष 2023-24 (नवंबर-अक्टूबर) में एथनॉल उत्पादन के लिए 17 लाख टन चीनी की कुल सीमा के भीतर गन्ने के रस और बी-हैवी शीरे दोनों का इस्तेमाल करने का लचीलापन चीनी मिलों को दिया गया है. उन्होंने कहा कि मंत्रियों की एक समिति ने शुक्रवार को अपनी बैठक के दौरान यह निर्णय लिया. मंत्रियों की समिति ने पिछले सप्ताह लगाए गए प्रतिबंध को वापस लेने के बारे में उद्योग जगत से आई मांगों पर गौर करने के बाद यह फैसला किया. इस संबंध में अधिसूचना जल्द ही जारी कर दी जाएगी.
सरकार ने सात दिसंबर को एथनॉल उत्पादन में गन्ने के रस और चीनी सिरप के इस्तेमाल पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी थी. हालांकि तेल विपणन कंपनियों (ओएमसी) से मिले मौजूदा प्रस्तावों के लिए एथनॉल की आपूर्ति की अनुमति दी थी. सरकार का अनुमान है कि चीनी सत्र 2023-24 में देश का चीनी उत्पादन घटकर 3.2-3.3 करोड़ टन रह जाएगा, जबकि पिछले पेराई सत्र में यह 3.7 करोड़ टन से अधिक रहा था. ीनी उत्पादन में गिरावट के अनुमान के पीछे गन्ने की उपज कम होने की आशंका है. इसी को ध्यान में रखते हुए सरकार ने पिछले हफ्ते गन्ने के रस और शीरे का इस्तेमाल एथनॉल उत्पादन में करने से रोक दिया था.
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