डीपफेक के बढ़ते खतरे को देखते हुए सरकार अब सख्त कदम उठाने जा रही है. डीपफेक जैसी आपत्तिजनक सामग्री के मामले में आईटी नियमों के उल्लंघन के लिए सोशल मीडिया मंचों के खिलाफ प्राथमिकी (FIR) दर्ज करने में लोगों की मदद करेगी. इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने कहा कि मंत्रालय एक मंच तैयार करेगा, जिस पर यूजर्स सोशल मीडिया कंपनियों के आईटी नियमों के उल्लंघन की जानकारी साझा कर पाएंगे.
मंत्री ने कहा कि मंत्रालय यूजर्स को आईटी नियमों के उल्लंघन के बारे में बहुत आसानी से सूचित करने और प्राथमिकी दर्ज करने में सहायता करेगा. सोशल मीडिया मंचों के प्रतिनिधियों के साथ बैठक के बाद चंद्रशेखर ने पत्रकारों से कहा कि आज से आईटी नियमों का उल्लंघन बिल्कुल बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.
मंत्री ने कहा कि मध्यस्थ के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की जाएगी और यदि वे यह जानकारी देते हैं कि सामग्री कहां से आई है तो सामग्री साझा करने वाले पर प्राथमिकी दर्ज की जाएगी. उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया मंचों को आईटी नियमों के मुताबिक बदलाव करने के लिए सात दिन का समय दिया गया है.
10 दिन में आएगी नई नीति केंद्रीय संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने डीपफेक को लोकतंत्र के लिए खतरा बताते हुए कहा कि सरकार इस बारे में नए नियम लाने की तैयारी कर रही है. इसके तहत ‘डीपफेक’ बनाने वालों और संबंधित मंचों दोनों पर जुर्माना लगाया जा सकेगा. वैष्णव ने कहा कि सरकार 10 दिन के भीतर नई नीति लेकर आएगी. भारत में 80 करोड़ से अधिक इंटरनेट यूजर्स हैं, जिनके अगले दो वर्षों में 120 करोड़ से अधिक होने का अनुमान है. वैष्णव ने कहा कि डीपफेक विज्ञापन या भ्रामक प्रचार एक खतरा है, जिसका भारतीय समाज वर्तमान में सामना कर रहा है.
क्या है डीपफेक डीपफेक में कृत्रिम मेधा (AI) का इस्तेमाल करते हुए किसी तस्वीर या वीडियो में मौजूद व्यक्ति की जगह किसी दूसरे को दिखा दिया जाता है. इसमें इतनी समानता होती है कि असली और नकली में अंतर करना काफी मुश्किल होता है. अगर कोई सोशल मीडिया कंपनी डीपफेक को हटाने के लिए पर्याप्त कदम नहीं उठाती है, तो उसे आईटी अधिनियम के तहत वर्तमान में जो सुरक्षित हार्बर प्रतिरक्षा मिली है, वह नहीं दी जाएगी. डीपफेक के मुद्दे पर अगली बैठक दिसंबर के पहले सप्ताह में होगी.
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