सरकार घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने के मकसद से कागज, फर्नीचर, वॉशिंग मशीन, सौर ग्लास और एयर प्यूरिफायर जैसे प्रोडक्ट पर उलट शुल्क ढांचे यानी तैयार प्रोडक्ट की तुलना में कच्चे माल पर ज्यादा कर लगाने के मामले का समाधान निकालने पर विचार कर सकती है. अधिकारियों ने यह जानकारी दी है.
बढ़ सकती है लागत
तैयार प्रोडक्ट के मुकाबले कच्चे माल पर ज्यादा शुल्क से मैन्यूफैक्चरिंग के लिए कर्ज और लागत बढ़ती है. अधिकारियों ने कहा कि मिनिस्ट्री ऑफ कॉमर्स एंड इडस्ट्री ने शुल्क के इस ढांचे के मुद्दों को देखने के लिए वित्त मंत्रालय के साथ प्रोडक्ट की एक लिस्ट शेयर की है.
वित्त मंत्रालय को भेजी लिस्ट
इंडस्ट्री चेंबर्स एंड प्रमोशन काउंसिल्स के साथ गहन चर्चा के बाद लिस्ट शेयर की गई है. अधिकारियों ने कहा, ‘‘हमने पहले ही लिस्ट वित्त मंत्रालय को भेज दी है. लिस्ट में कागज, फर्नीचर, वॉशिंग मशीन, सौर ग्लास और एयर प्यूरिफायर शामिल हैं. साथ ही कपड़े और आभूषण के कुछ मामले भी हैं.’’
घरेलू उद्योग पर असर
तैयार प्रोडक्ट के मुकाबले कच्चे माल पर ज्यादा शुल्क लगने की व्यवस्था घरेलू उद्योग पर असर डालती है. इस परिस्थिति में मैन्यूफैक्चरिंग को शुल्क के संदर्भ में कच्चे माल के लिए ज्यादा कीमत चुकानी पड़ती है जबकि तैयार प्रोडक्ट पर कम शुल्क और लागत आती हैं.
प्रोडक्ट होगा महंगा
महंगे कच्चे माल प्रोडक्ट को महंगा बनाते हैं और निर्यात बाजार में वे प्रतिस्पर्धी नहीं रह पाते. घरेलू बाजार में ऐसे प्रोडक्ट का आयात सस्ता होने का खतरा रहता है. इस शुल्क ढांचे का निपटान करने से घरेलू निर्यातकों की प्रतिस्पर्धी क्षमता बढ़ाने में मदद मिलेगी. इससे निर्यात बढ़ाने और विनिर्माण को बढ़ावा देने में मदद मिलेगी.