गेहूं की बढ़ती कीमतों पर लगाम लगाने के मकसद से सरकार ने चालू वित्त वर्ष में भारतीय खाद्य निगम (FCI) द्वारा मुक्त बाजार बिक्री योजना (OMSS) के तहत थोक खरीदारों को 4.1 मिलियन टन गेहूं की बिक्री की है. बुधवार को एफसीआई ने साप्ताहिक ई-नीलामी में 2,420 बोलीदाताओं को 0.28 मिलियन टन गेहूं की बिक्री की थी, जबकि आटा मिलों और प्रोसेसर्स को 0.3 मिलियन टन गेहूं की बिक्री की पेशकश की गई थी. बता दें कि जून में साप्ताहिक ई-नीलामी शुरू की गई थी.
खाद्य मंत्रालय के एक अधिकारी के मुताबिक बुधवार की नीलामी में ओएमएसएस के तहत गेहूं का भारित औसत बिक्री मूल्य 2,278.58 रुपए प्रति क्विंटल था, जबकि आरक्षित मूल्य 2,127.87 रुपए प्रति क्विंटल था. बता दें कि अगले सीजन (2024-25) के लिए गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य 2,275 रुपए प्रति क्विंटल तय किया गया है. अगले मार्केटिंग सीजन के लिए गेहूं की सरकारी खरीद 1 अप्रैल से शुरू हो जाएगी. सरकार ने घरेलू बाजार में सप्लाई को बढ़ावा देने के लिए 31 मार्च 2024 तक OMSS के जरिए 10 मिलियन टन गेहूं की बिक्री का लक्ष्य रखा है.
खाद्य मंत्रालय के अधिकारी के मुताबिक 1 अप्रैल को 7.46 मिलियन टन गेहूं का बफर स्टॉक बनाए रखने के बाद कीमतों पर लगाम लगाने के लिए एफसीआई के गोदामों में रखे सरप्लस स्टॉक को बाजार में बेचने की योजना है. 1 नवंबर तक एफसीआई के पास 21.87 मिलियन टन गेहूं का स्टॉक है, जबकि 1 जनवरी के लिए बफर स्टॉक 13.8 मिलियन टन था.
इसके अलावा, केंद्रीय भंडार, नैफेड और NCCF द्वारा एफसीआई से 44,246 टन गेहूं को ‘भारत आटा’ में बदलने के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदा गया है. उपभोक्ताओं को भारत आटा की बिक्री 27.5 रुपए प्रति किलोग्राम पर की जा रही है. एफसीआई ने इन एजेंसियों को 0.25 मिलियन टन गेहूं का आवंटन किया है. बता दें कि अप्रैल 2019 में भारत ने गेहूं के सस्ते आयात को हतोत्साहित करने के लिए इंपोर्ट ड्यूटी को 30 फीसद से बढ़ाकर 40 फीसद कर दिया था. सरकार ने पिछले महीने कारोबारियों, थोक विक्रेताओं और खुदरा विक्रेताओं के लिए गेहूं की स्टॉक रखने की सीमा तीन महीने पहले लगाई गई 3,000 टन से घटाकर 2,000 टन कर दी थी.