केंद्र सरकार ने पिछले साल बजट में रणनीतिक ऑयल रिजर्व को रीफिल करने के लिए जिस 5 हजार करोड़ रुपए के खर्च की घोषणा की थी, उस योजना को अब टाल दिया है. केंद्रीय वित्त मंत्रालय की तरफ से बुधवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर यह जानकारी दी गई. वित्त मंत्रालय की तरफ से कहा गया, कि ऑयल मार्केट भारी उतार-चढ़ाव को देखते हुए वित्त मंत्रालय ने विशाखापतनम और मैंगलोर में स्थित रणनीतिक ऑयल रिजर्व को रीफिल करने की योजना को फिलहाल स्थगित करने का प्रस्ताव दिया है.
भारत में रणनीतिक रिजर्व के तौर पर सिर्फ 3.9 करोड़ बैरल तेल स्टोर करने की क्षमता है जो देश की कुल तेल जरूरत को सिर्फ 8 दिन के लिए पूरा कर सकती है. 2020 के दौरान जब वैश्विक बाजार में कच्चे तेल की कीमतों मे भारी गिरावट आई थी, तो उस समय सरकार ने इस रिजर्व को पूरी तरह भर दिया था, लेकिन तब से लेकर अबतक इस क्षमता का करीब एक तिहाई तेल बाजार में जारी किया जा चुका है. पिछले साल बजट में इस रिजर्व को फिर से पूरी तरह भरने की घोषणा हुई थी और उसके लिए 5000 करोड़ रुपए का बजट भी तय किया गया था, लेकिन अब सरकार इस खर्च से पीछे हट गई है.
जुलाई 2021 में केंद्र सरकार ने करीब 65 लाख टन यानी करीब 4.95 करोड़ बैरल का अतीरिक्त रणनीतिक ऑयल रिजर्व बनाने की घोषणा भी की है, इसके तहत 40 लाख टन की स्टोरेज ओडिशा के चांदीखोल में तैयार की जाएगी और 25 लाख टन की क्षमता कर्नाटक के पदुर में स्थापित होगी. इस ऑयल क्षमता को पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप के तहत स्थापित किया जाएगा लेकिन ऑयल पर सरकार का अधिकार होगा. इस क्षमता के तैयार होने के साथ भारत के पास रणनीतिक ऑयल रिजर्व के तौर पर करीब 18 दिन की जरूरत को पूरा करने लायक तेल का रिजर्व होगा.