केंद्र सरकार की ओर से वस्तुओं एवं सेवाओं की ऑनलाइन खरीद के लिए शुरू की गई सरकारी ई-मार्केट प्लेटफार्म GeM से खरीदारी चार लाख करोड़ रुपए के पार पहुंच गई है. वित्त वर्ष 2021-22 में इससे 1.06 लाख करोड़ रुपए की खरीदारी की गई थी, वहीं पिछले वित्त वर्ष में यह दो लाख करोड़ रुपए को पार कर गया था. GeM की शुरुआत नौ अगस्त 2016 को की गई थी.
केंद्र सरकार के सभी मंत्रालयों और विभागों की ओर से शुरू किए गए इस प्लेटफॉर्म के जरिए वित्त वर्ष 2022-23 में सेवाओं की खरीद 66,000 करोड़ रुपए से बढ़कर चालू वित्त वर्ष में 2.05 लाख करोड़ रुपए हो गई है. इसी तरह चालू वित्त वर्ष में 28 मार्च तक प्लेटफार्म से 1.95 लाख करोड़ रुपए की वस्तुएं खरीदी गई हैं. वर्तमान में सरकारी विभागों, मंत्रालयों, सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयों, राज्य सरकारों और केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों को इस प्लेटफार्म के जरिए लेनदेन करने की अनुमति है.
इन संस्थाओं ने खरीदी में दिया अहम योगदान
GeM के सीईओ पीके सिंह का कहना है कि वो सार्वजनिक खरीद में पारदर्शिता बढ़ाने पर काम कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि 5.2 लाख से अधिक जन सेवा केंद्रों और 1.5 लाख भारतीय डाकघरों के साथ GeM के सहयोग से इसके विकास को बढ़ावा मिला है. इसके अलावा मंत्रालयों और सीपीएसई सहित केंद्रीय संस्थाओं ने भी खरीद को काफी बढ़ावा दिया है. इन संगठनों ने 4 लाख करोड़ रुपए के इस मील के पत्थर में लगभग 85% का योगदान दिया है. केंद्रीय स्तर पर सबसे अधिक खरीद करने वाली संस्थाओं में कोयला, बिजली, पेट्रोलियम और उनकी सहायक कंपनियां शामिल हैं.
एकीकृत खरीद पोर्टल के रूप में विकसित करना है लक्ष्य
पीके सिंह का कहना है कि GeM को देश के एकीकृत खरीद पोर्टल के रूप में विकसित करना मुख्य लक्ष्य है. वर्तमान में प्लेटफ़ॉर्म पर केवल वस्तुओं और सेवाओं की अनुमति है. भविष्य में हम कार्य अनुबंध को भी शामिल करना चाहते हैं. इसके आने से एक बड़ी उपलब्धि होगी. अफ्रीका और दक्षिण पूर्व एशिया के कुछ देश GeM में गहरी रुचि दिखा रहे हैं. ऐसे में भारत परामर्श सेवाएं प्रदान कर सकता है और उनके लिए समान मंच भी स्थापित कर सकता है.