भारत सरकार डिजिटल फ्रॉड को कम करने के लगातार प्रयास कर रही है और उसी के मद्देनज़र सरकार डिजिटल वित्तीय धोखाधड़ी पर बढ़ती चिंता को दूर करने के लिए उपाय करने पर विचार कर रही है. डिजिटल लेनदेन के लिए नए फिल्टर और सुरक्षा के तरीकों को विकसित करने के लिए वित्त मंत्रालय, RBI, इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय और NPCI के बीच चर्चा शुरू हो गई है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक प्रस्तावित उपायों में एक निश्चित सीमा से ऊपर के लेनदेन के लिए अनिवार्य फिल्टर का कार्यान्वयन शामिल है. इसके तहत डिजिटल पेमेंट के लिए वन-टाइम पासवर्ड (ओटीपी) का उपयोग शामिल किया गया है.
प्रस्तावित उपायों का मकसद साइबर सुरक्षा में बढ़ोतरी और धोखाधड़ी वाले लेनदेन पर लगाम लगाना है. इसके अलावा सरकार संदिग्ध गतिविधियों की पहचान करने और उन्हें रोकने के लिए भुगतान प्रणालियों के भीतर खुफिया जानकारी कैसे जुटाई जाए इसकी भी जांच कर रही है. मोबाइल फोन सिम की क्लोनिंग और क्यूआर कोड के फर्जी इस्तेमाल से निपटने के लिए कई प्रमाणीकरण मॉड्यूल और फिल्टर पर विचार किया जा रहा है. इन अतिरिक्त सुरक्षा उपायों से यूजर्स को संभावित वित्तीय धोखाधड़ी से बचाने में मदद मिलेगी.
गौरतलब है कि डिजिटल पेमेंट के बढ़ते चलन के साथ ही वित्तीय धोखाधड़ी से जुड़े जोखिम भी बढ़ गए हैं. 15 नवंबर 2023 तक के सरकारी आंकड़ों के मुताबिक अगस्त 2019 में राष्ट्रीय साइबर रिपोर्टिंग प्रणाली की शुरुआत के बाद से 13 लाख से ज्यादा शिकायतें दर्ज की गई हैं. बता दें कि केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने एक ऐसे मामले में प्राथमिकी दर्ज की है जिसमें 10 से 13 नवंबर के बीच यूको बैंक के 41,000 खाताधारकों के खातों में अचानक 820 करोड़ रुपए की राशि जमा हो गई. इस मामले में एक तरफ जहां खातों में यह राशि जमा हो गई, वहीं दूसरी ओर उन खातों से कोई ‘डेबिट’ दर्ज नहीं हुआ जहां से यह राशि मूल रूप से अंतरित हुई थी. ऐसे में इस तरह के मामलों के सामने आने के बाद साइबर सिक्योरिटी और भी जरूरी हो गई है.