सरकार पूरे देश में चार लेबर कोड लागू करने के लिए विभिन्न रणनीतियों पर विचार कर रही है. लेकिन देश के कुछ राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने अभी तक इनमें से एक या अधिक कोड के तहत मसौदा नियमों को प्री पब्लिश नहीं किया है. श्रम और रोजगार मंत्रालय इन कोड्स को लागू करने के लिए कई विकल्पों पर विचार कर रहा है. सरकार पुराने श्रम कानूनों को धीरे-धीरे ख़त्म करना चाहती है ताकि जिन राज्यों ने अभी तक नियमों का मसौदा तैयार नहीं किया है, वहां कोई दिक्कत न रहे. इसके अलावा, मंत्रालय उन राज्यों के साथ बातचीत कर रहा है और अनुपालन में तेजी लाने का आग्रह कर रहा है जो अब तक नियमों को प्रकाशित करने में पीछे हैं.
केंद्र के सामने चुनौती नहीं
ईटी की एक रिपोर्ट के अनुसार, एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने बताया कि लेबर कोड लागू करने पर ज्यादातर राज्य सहमत हैं, इसलिए केंद्र को कोड लागू करने में कोई बड़ी चुनौती नहीं दिख रही है. उन्होंने कहा, ‘एक बार पुराने अधिनियम निरस्त हो जाएंगे, तो नए कोड अपने आप ही लागू हो जाएंगे. यदि ये राज्य रेवेन्यू चाहते हैं, नौकरियां पैदा करना चाहते हैं, तो उन्हें केंद्रीय नीतियों के साथ जुड़ना ही होगा.’ केंद्र सरकार लेबर कोड लागू करने में आने वाली किसी भी कानूनी चुनौती का समाधान करना जारी रखेगी, ताकि इसे जल्द से जल्द लागू किया जा सके.
किन राज्यों में हो रही है देरी ?
श्रम मंत्रालय की एक रिपोर्ट के अनुसार, आठ राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों – मेघालय, नागालैंड, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल, लक्षद्वीप, सिक्किम, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह और दिल्ली के एनसीटी उन राज्यों में शामिल हैं, जिन्होंने लेबर कोड के तहत ड्राफ्ट रूल को प्री-पब्लिश नहीं किया है.
गौरतलब है कि केंद्र ने 29 केंद्रीय श्रम कानूनों को चार श्रम संहिताओं में समेकित किया है. इनमें लेबर कोड, सामाजिक सुरक्षा संहिता, औद्योगिक संबंध संहिता व व्यावसायिक, सुरक्षा, स्वास्थ्य और काम करने की स्थिति संहिता शामिल हैं. संसद ने 2020 में चार में से तीन श्रम संहिताओं को पारित किया था, जबकि मजदूरी संहिता को 2019 में ही मंजूरी दे दी गई थी.