सरकार ने पिछले वित्त वर्ष में फिक्स्ड डिपॉजिट (Fixed Deposit) पर कमाए ब्याज पर तगड़ा टैक्स वसूला है. सीनियर सिटिजंस की एफडी से मिले ब्याज पर सरकार ने 27,000 करोड़ रुपये से अधिक टैक्स इकट्ठा किया है. देश के सबसे बड़े सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक एसबीआई के शोधकर्ताओं (SBI Research) ने यह जानकारी दी है.
5 साल में 143 फीसद बढ़ गई एफडी की रकम
एसबीआई के शोधकर्ताओं ने हाल में एक रिपोर्ट जारी की है. इस रिपोर्ट के अनुसार, पिछले 5 वर्षों में फिक्स्ड डिपॉजिट की कुल राशि वित्त वर्ष 2023-24 के अंत में 143 फीसद बढ़कर 34 लाख करोड़ रुपये हो गई. 5 साल पहले यह 14 लाख करोड़ रुपये थी. यानी पिछले पांच सालों में लोगों में एफडी का क्रेज तेजी से बढ़ा है. बड़ी संख्या में लोगों ने एफडी में निवेश किया है.
क्यों बढ़ा एफडी में निवेश का क्रेज?
इस रिपोर्ट के मुताबिक, फिक्स्ड डिपॉजिट्स पर अधिक ब्याज दर (Interest Rate) होने से वरिष्ठ नागरिकों के बीच यह जमा योजना (Saving Scheme) काफी लोकप्रिय हुई है. यही वजह है कि इस अवधि में फिक्स्ड डिपॉजिट खातों की कुल संख्या 81 फीसद बढ़कर 7.4 करोड़ हो गई है. यानी लोगों ने इंटरेस्ट रेट और सिक्योर निवेश को देखते हुए एफडी के विकल्प को चुना.
7.3 करोड़ खातों में 15 लाख रुपये से अधिक जमा
एसबीआई शोधकर्ताओं का अनुमान है कि इन जमा खातों में से लगभग 7.3 करोड़ खातों में 15 लाख रुपये से अधिक की राशि जमा है. अगर इन राशियों पर 7.5 फीसद के ब्याज का अनुमान लगाएं तो वरिष्ठ नागरिकों ने सिर्फ ब्याज के रूप में ही पिछले वित्त वर्ष में 2.7 लाख करोड़ रुपये कमाए हैं. यही वजह है कि इस रकम पर टैक्स की वसूली भी खूब हुई है.
बैंक जमा से 2.57 लाख करोड़ रुपये
एसबीआई की यह रिपोर्ट कहती है कि इसमें बैंक जमा से 2.57 लाख करोड़ रुपये और शेष राशि वरिष्ठ नागरिक बचत योजना (Senior Citizen Savings Scheme) की है. रिपोर्ट में कहा गया है कि वरिष्ठ नागरिकों द्वारा भुगतान किए गए 10 फीसद (औसत) टैक्स के आधार पर भारत सरकार द्वारा सीनियर सिटीजंस की एफडी से टैक्स कलेक्शन लगभग 27,106 करोड़ रुपये होगा.