FSSAI ने भारतीय मसालों में ज्यादा कीटनाशक इस्तेमाल किये जाने को लेकर किये गए सभी दावे को गलत बताया है. FSSAI ने कहा है कि भारत में खाद्य पदार्थों के कीटनाशक अवशेषों (MRL) के इस्तेमाल को लेकर दुनिया में सबसे ज्यादा सख्त नियम बनाए गए हैं. ऐसे में ये दावे पूरी तरह से गलत है.
भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) ने उन सभी खबरों पर विराम लगा दिया है जिसमें भारतीय मसालों में कीटनाशक मिलाए जाने की बात चल रही थी. दरअसल, हाल ही में मसालों में और खाने-पीने की चीजों में अधिक मात्रा में कीटनाशक मिलाए जाने की खबर ने हलचल मचा दी. बताया जा रहा था कि भारत के मसालों में 10 गुना ज्यादा पेस्टीसाइड का इस्तेमाल किया जाता है, जो लोगों के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है. लेकिन अब FSSAI ने इन सभी खबरों को बेबुनियाद बताया है और कहा है कि भारत के मानक दुनिया में सबसे कड़े हैं.
FSSAI ने कहा कि कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में यह भी खबर आ रही है कि नियामक की तरफ से भारत जड़ी-बूटियों और मसालों में 10 गुना अधिक कीटनाशक मिलाने की इजाजत दी गई है. इस तरह की ख़बरें झूठी हैं. नियामक ने कहा कि भारत दुनिया के उन चुनिंदा देशों में शामिल है जहां खाने की चीजों में कीटनाशक की अधिकतम मात्रा (MRL) के सबसे कड़े नियम बनाए गए हैं. लोगों की सुरक्षा और स्वास्थ्य को देखते हुए नियामक अलग-अलग खाने के सामानों के लिए उनके आधार पर MRL तय किए हैं.
FSSAI ने बताया कि एक कीटनाशक का इस्तेमाल 10 से ज्यादा फसलों में अलग-अलग MRL के साथ किया जा सकता है. जैसे- बैंगन में 0.1 MRL के साथ फ्लुबेंडियामाइड (Flubendiamide) का इस्तेमाल किया जाता है. वहीं, टमाटर के लिए 2 मिलीग्राम/किलोग्राम और चाय के लिए 50 मिलीग्राम/किलोग्राम है. इसी तरह मोनोक्रोटोफॉस अनाजों के लिए 0.03 मिलीग्राम/किलोग्राम, चना दाल के लिए MRL 1.0 मिलीग्राम/किलोग्राम, गोभी के लिए 4 मिलीग्राम/किलोग्राम, खट्टे फलों के लिए 0.2 मिलीग्राम/किलोग्राम का इस्तेमाल किया जाता है. ऐसे में, अधिक मात्रा में मिलावट की भारत में कोई गुंजाईश नहीं है.
नियामक ने बताया कि जिन कीटनाशकों के लिए MRL तय नहीं किए गए हैं, उनके मामले में 0.01 मिलीग्राम/किलोग्राम की एक तय सीमा लागू थी, जिसे मसालों के लिए बढ़ाकर 0.1 मिलीग्राम/किलोग्राम कर दिया गया है. इससे कोई नुकसान नहीं है और यह नियम सिर्फ उन्हीं कीटनाशकों के लिए लागू है, जो भारत में CIB और RC द्वारा पंजीकृत नहीं हैं.
FSSAI ने लोगों को आश्वस्त करते हुए कहा कि CIB और RC से मिले आंकड़ों की जांच FSSAI की खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण की कीटनाशक अवशेषों पर वैज्ञानिकों की पूरी टीम करती है. ये टीम किसी भी मानक को तय करते समय सभी आयु वर्ग, उनके खाने के पैटर्न, और खुराक के आधार पर MRL तय करती है.
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