कोरोना काल के दौरान वर्क फ्रॉम होम के बढ़ने और दोबारा दफ्तर खुलने पर हाइब्रिड मॉडल में काम करने का चलन बढ़ा है. कंपनियां खर्चा बचाने के लिए फ्लेक्सिबल वर्क स्पेस को तेजी से अपना रही हैं. यही वजह है कि इस क्षेत्र में हिस्सेदारी बढ़ती जा रही है. यूएस-आधारित अपफ्लेक्स की भारत शाखा के अनुसार, ऑफिस स्पेस टेक-अप में इस सेगमेंट की हिस्सेदारी इस वित्तीय वर्ष में इसके 27% तक पहुंचने की उम्मीद है, जो वित्त वर्ष 2023 में 21 फीसद थी. वहीं वित्त वर्ष 2020 में ये आंकड़ा महज 7% ही था.
कंपनियां कर्मचारियों को काम पर वापस लाने के लिए ऐसी जगह की तलाश कर रही है जहां उन्हें सभी सुविधाएं मिले. कंपनियां कार्यालय को लीज पर लेकर काम चला रही हैं. रिपोर्ट के मुताबिक
वित्त वर्ष 2024 में एक-चौथाई से अधिक कार्यालय लीज पर लिए जाने की उम्मीद है. फ्लेक्सिबल वर्क स्पेस की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए स्मार्टवर्क्स, वेवर्क, ऑफिस, स्कूटर, अर्बन वॉल्ट, वाटिका बिजनेस सेंटर, ईएफसी, इंडीक्यूब और द एक्जीक्यूटिव सेंटर जैसी कंपनियां सक्रिय रूप से काम कर रही हैं.
कोविड से पहले भारत के जहां लगभग 55 शहरों में 1,500 स्थानों पर करीब 400 लचीले वर्क स्पेस ऑपरेटर थे, वहीं अब 90 शहरों में फैले 2,320 स्थानों पर लगभग 965 ऑपरेटर हैं. इंडीक्यूब के सह-संस्थापक ऋषि दास का कहना है कि जो कॉरपोरेट कर्मचारियों को कार्यालय में वापस लाना चाहते हैं, वे फ्लेक्स स्पेस पसंद करते हैं क्योंकि वे कई प्रकार की सुविधाएं प्रदान करते हैं जो कर्मचारियों को पसंद आती हैं. ऐसे में उम्मीद की जा सकती है कि कुल लीजिंग में फ्लेक्स स्पेस की हिस्सेदारी और बढ़ेगी. पूरे भारत में फ्लेक्स ऑपरेटर लीजिंग में बेंगलुरु, हैदराबाद और पुणे जैसे टेक शहरों की हिस्सेदारी सबसे ज्यादा है.