किसान अपनी मांगों को एक बार फिर सड़कों पर हैं. उद्योग मंडल पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (PHDCCI) ने कहा है कि किसान आंदोलन के लंबा चलने से उत्तरी राज्यों में व्यापार और उद्योग को ‘गंभीर नुकसान’ पहुंच सकता है. उद्योग मंडल का कहना है कि किसान आंदोलन से रोजगार को भारी नुकसान होने की आशंका है और इससे प्रतिदिन 500 करोड़ रुपये से अधिक का आर्थिक नुकसान होगा. पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के अध्यक्ष संजीव अग्रवाल ने कहा कि लंबे समय तक चलने वाले आंदोलन से प्रतिदिन 500 करोड़ रुपये का आर्थिक नुकसान होगा और उत्तरी राज्यों मुख्य रूप से पंजाब, हरियाणा और दिल्ली के चौथी तिमाही के सकल राज्य घरेलू उत्पाद (GSDP) पर असर पड़ेगा.
उन्होंने कहा कि उद्योग मंडल देश में सभी के कल्याण के लिए आम सहमति के साथ सरकार और किसानों दोनों से मुद्दों के शीघ्र समाधान की आशा करता है. अग्रवाल ने कहा कि किसानों का आंदोलन पंजाब, हरियाणा, दिल्ली और उत्तर प्रदेश और राजस्थान के कुछ हिस्सों में सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (MSME) मंत्रालय के व्यवसायों को गंभीर रूप से प्रभावित कर रहा है. उत्पादन प्रक्रियाओं को निष्पादित करने और उपभोक्ताओं की मांग को पूरा करने के लिए ऐसी इकाइयों का कच्चा माल बड़े पैमाने पर अन्य राज्यों से खरीदा जाता है.
पंजाब, हरियाणा, दिल्ली के MSME पर पड़ेगा असर
सबसे बड़ी मार पंजाब, हरियाणा और दिल्ली के एमएसएमई पर पड़ेगी. उन्होंने कहा कि पंजाब, हरियाणा और दिल्ली की संयुक्त जीएसडीपी मौजूदा कीमतों पर 2022-23 में 27 लाख करोड़ रुपये होने का अनुमान है. इन राज्यों में लगभग 34 लाख एमएसएमई हैं जो अपने संबंधित कारखानों में लगभग 70 लाख श्रमिकों को रोजगार देते हैं.
संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार पर न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) सहित अन्य मांगों को स्वीकार करने के लिए दबाव बनाने को लेकर ‘दिल्ली चलो’ का आह्वान किया है.
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