भारत में मुख्य कार्यकारी अधिकारियों (CEOs) का औसत वेतन 2024 में 13.8 करोड़ रुपये रहा, जो कोविड-19 महामारी से पहले की तुलना में 40 फीसद अधिक है. डेलॉयट की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि भारतीय सीईओ के कुल कमाई का आधे से अधिक हिस्सा शॉर्ट टर्म और लॉन्ग टर्म इंसेंटिव्स से जुड़ा हुआ है.
‘डेलॉयट इंडिया एक्जिक्यूटिव परफॉर्मेंस एंड रिवार्ड्स सर्वे 2024’ (Deloitte India Executive Performance and Rewards Survey 2024) के अनुसार, भारत में मुख्य कार्यकारी अधिकारियों का औसत वेतन 13.8 करोड़ रुपये है. सर्वे की रिपोर्ट के मुताबिक जो सीईओ प्रमोटर भी हैं या प्रमोटर फैमिली के सदस्य हैं, उन्हें औसतन 16.7 करोड़ रुपये का भुगतान किया जाता है.
डेलॉयट इंडिया के भागीदार और सीएचआरओ प्रोग्राम के लीडर आनंदोरूप घोष ने कहा कि प्रमोटर सीईओ का वेतन, प्रोफेशनल सीईओ के मुकाबले अधिक है. ऐसा मुख्य रूप से दो वजहों से है. प्रमोटर सीईओ के मुकाबले प्रोफेशनल सीईओ बार-बार बदलते रहते हैं. दूसरी बात यह कि प्रमोटर सीईओ के मुआवजे की सीमा बहुत व्यापक है, और इससे औसत प्रभावित होता है.”
डेलॉयट के अनुसार, सीईओ के कुल वेतन में वृद्धि जरूर हुई है, लेकिन सैलरी का 50 फीसद से अधिक जोखिम पर आधारित भुगतान (Pay-At-Risk) है. प्रमोटर सीईओ को किया जाने वाला 47 फीसद भुगतान जोखिम पर आधारित है, जबकि प्रोफेशनल सीईओ के लिए यह आंकड़ा 57 फीसद है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि सीईओ की वेतन का मीडियन 9.3 करोड़ रुपये है और औसत वेतन 13.8 करोड़ रुपये है और इसमें आसानी से बड़ा अंतर देखा जा सकता है. सीईओ और सीएक्सओ के परफॉरमेंस का आकलन करते समय कंपनियां फाइनेंशियल और नॉन-फाइनेंशियल मेट्रिक्स और टार्गेट्स को शामिल करती हैं. हालांकि, सीईओ और सीएक्सओ के इंसेंटिव अब भी कंपनी के फाइनेंशियल्स और लक्ष्यों पर ज्यादा निर्भर करते हैं.
सीईओ को मिलने वाले लॉन्ग टर्म इंसेटिव के बारे में डेलॉयट ने कहा कि कंपनियों ने शेयर आधारित इंसेंटिव में इजाफा किया है. 2020 में शेयर आधारित इंसेंटिव 63 फीसद था जो 2024 में 75 फीसद पर पहुंच गया. पुराना जो स्टॉक ऑप्शन (ESOPs) था उसमें लगातार कमी आ रही है.
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