सार्वजनिक क्षेत्र की बिजली वितरण कंपनियां (DISCOM) टेक्निकल और कॉमर्शियल नुकसान में कमी के बावजूद वित्तीय समस्याओं का सामना कर रही हैं. क्रेडिट रेटिंग एजेंसी इक्रा ने एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी है. एजेंसी ने वितरण कंपनियों की आर्थिक स्थिति खराब होने का प्रमुख कारण बिजली आपूर्ति के एवज में राज्य सरकार के विभागों से होने वाले भुगतान में देरी को बताया है. उसने बिजली वितरण खंड के लिए नकारात्मक दृष्टिकोण बनाये रखा है.
बुनियादी ढांचे को बेहतर बनाने और अधिक सब्सिडी भुगतान के कारण सार्वजनिक क्षेत्र की बिजली वितरण कंपनियों का अखिल भारतीय समग्र तकनीकी और वाणिज्यिक (एटी एंड सी) नुकसान वित्त वर्ष 2021-22 में घटकर 16.5 फीसदी और वित्त वर्ष 2022-3 में 15.8 फीसदी हो गया. जबकि वित्त वर्ष 2020-21 में यह 23 फीसदी था. इक्रा ने कहा कि इस प्रगति के बावजूद बिहार, झारखंड, मध्य प्रदेश, ओडिशा और उत्तर प्रदेश में वितरण कंपनियों के लिए घाटा 20 फीसदी से अधिक है.
रेटिंग एजेंसी इक्रा ने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र की वितरण कंपनियों का प्रदर्शन आपूर्ति लागत की तुलना में कम शुल्क दर, नियामकीय मंजूरी की तुलना में अधिक एटी एंड सी नुकसान और अधिक कर्ज बोझ के कारण बाधित हुआ है. इसके अलावा, बिजली आपूर्ति के एवज में राज्य सरकार के विभागों से भुगतान प्राप्त करने में देरी उनकी कमजोर आर्थिक स्थिति की वजह है. इक्रा के अनुसार, बिजली वितरण खंड के लिए उसका परिदृश्य नकारात्मक बना हुआ है.
इक्रा के वाइस प्रेसिडेंट और को-ग्रुप हेड (कॉरपोरेट रेटिंग्स) विक्रम वी ने कहा कि आम चुनावों के बाद, सार्वजनिक क्षेत्र की बिजली वितरण कंपनियों के लिए शुल्क दर निर्धारण प्रक्रिया में सुधार हुआ है. इस संदर्भ में 28 में से 22 राज्यों ने जुलाई, 2024 तक वित्त वर्ष 2024-25 के लिए आदेश जारी किए हैं जबकि केवल 11 राज्यों ने मई, 2024 तक इस संबंध में आदेश जारी किए.
उन्होंने कहा कि हालांकि, वित्त वर्ष 2024-25 के लिए शुल्क बढ़ोतरी औसतन 1.7 फीसदी की बढ़ोतरी के साथ मामूली बनी हुई है. यह वित्त वर्ष 2023-24 के लिए स्वीकृत 2.5 फीसदी से कम है. हाल के वर्षों में कुछ राज्यों में शुल्क बढ़ोतरी के रुख के बावजूद बिजली खरीद लागत में वृद्धि, कुछ बड़े राज्यों में परिचालन दक्षता की कमी और उच्च कर्ज बोझ के कारण वितरण कंपनियों को घाटा हो रहा है.
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