SCSS: रिटायरमेंट की रकम को सहेजना जरूरी है क्योंकि कमाई के स्रोत एक ओर खत्म हो रहे होंगे और दूसरी ओर लाफस्टाइल, महंगाई से हर महीने की खर्च में बढ़ोतरी. पेंशन स्कीमों से लेकर म्यूचुअल फंड में SWP जैसे कई विकल्प हैं जिससे नियमित आय का इंतजाम हो सके लेकिन बाकी रिटायरमेंट कॉर्पस को अगर आप कहीं सुरक्षित रखना चाहते हैं और साथ ही उसपर बड़ा रिटर्न हासिल करना चाहते हैं तो सीनियर सिटीजन सेविंग्स स्कीम (Senior Citizen Savings Scheme) चुन सकते हैं. खास बात ये है कि कुछ सेक्टर के कर्मचारी 60 साल की उम्र से पहले ही इसमें अपना रिटायरमेंट कॉरपस निवेश कर सकते हैं.
आप ये सीनियर सिटीजन सेविंग्स स्कीम में पोस्ट ऑफिस के जरिए या बैंक के जरिए भी निवेश कर सकते हैं. इस खाते में कम से कम 1,000 रुपये का निवेश करना होता है और अधिकतम 15 लाख रुपये निवेश किए जा सकते हैं.
स्कीम पर सालाना 7.4 फीसदी की दर से ब्याज की कमाई होती है जिसकी पेमेंट हर तिमाही के अंत में की जाएगी. लेकिन ध्यान रहे कि इस ब्याज पर ब्याज की कमाई नहीं होती. ये ब्याज सीधे आपके सेविंग्स खाते में या पोस्ट ऑफिस के सेविंग्स खाते में क्रेडिट होगी. ये रिटर्न फिक्स्ड डिपॉजिट पर मिलने वाले ब्याज से ज्यादा है.
ये कोई मार्केट लिंक्ड प्रोडक्ट नहीं है, यानी इसपर तय रिटर्न मिलता रहेगा. बैंक या पोस्ट ऑफिस में होने से इनमें निवेश सुरक्षित रहता है जो आपके रिटायरमेंट कॉरपस के लिए जरूरी है.
स्कीम सीनियर सिटीजन के लिए है लेकिन इस ऐसे समझें कि ये रिटायरमेंट कॉरपस के लिए है. 60 वर्ष से ऊपर के सभी लोग इस खाते के पात्र हैं लेकिन कुछ अन्य सेक्टर के लोग 60 साल की उम्र से पहले भी इसमें निवेश कर सकते हैं. अगर डिफेंस क्षेत्र में काम करते हैं तो 50 साल की उम्र के बाद और 60 से पहले रिटायर होने पर भी सीनियर सिटीजन सेविंग्स स्कीम (Senior Citizen Savings Scheme) में निवेश कर सकते हैं. वहीं अन्य क्षेत्र के कर्मचारी अगर 55 साल की उम्र के बाद ही रिटायर हो रहे हैं तो इस स्कीम निवेश सकते हैं. शर्त ये है कि उन्हें इस स्कीम में रिटायरमेंट बेनिफिट मिलने के एक महीने के अंदर निवेश करना होगा. इस खाते में अपने पार्टनर को जॉइंट होल्डर भी बना सकते हैं.
सीनियर सिटीजन सेविंग्स स्कीम में किया गया निवेश पर इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 80C के तहत छूट मिलती है. हालांकि, अगर सभी सीनियर सिटीजन सेविंग्स अकाउंट में मिलाकर एक वित्त वर्ष में 50,000 रुपये से ज्यादा की ब्याज से कमाई होती है तो उसपर TDS लगेगा. लेकिन, अगर आप फॉर्म 15 G या फॉर्म 15 H जमा कराते हैं तो इस TDS की बचत हो सकती है.
इस स्कीम में 5 साल तक खाता जारी रहता है. इसे 3 साल और आगे भी बढ़ा सकते हैं. 5 साल से पहले खाता बंद करना चाहें तो उसकी भी सुविधा है. अगर खाता खुलवाने के एक साल के भीतर इसे बंद करवाया तो कोई ब्याज की पमेंट नहीं होगी, और जो पेमेंट हो चुकी है वो मूल रकम मे काटी जाएगी. 2 साल के भीतर बंद किया तो 1.5 फीसदी रकम कटेगी और अगर 2 साल के बाद और 5 साल से पहले इसे बंद किया तो 1 फीसदी पेनल्टी लगेगी.
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