गलत तथ्य पेश करने और यूरोपीय पेटेंट कार्यालय (ईपीओ) की ओर से पेटेंट खारिज किए जाने की जानकारी का खुलासा न करने पर दिल्ली हाई कोर्ट ने Google पर सख्त कार्रवाई की है. हाई कोर्ट ने 1 लाख रुपए का जुर्माना लगाया है. जस्टिस प्रथिबा एम सिंह ने असिसेंट कंट्रोलर के पेटेंट और डिजाइन के आवेदन को खारिज करने के आदेश के खिलाफ Google की तरफ से दायर अपील को खारिज किया है.
कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि गूगल ने पेटेंट के लिए संबंधित ईयू आवेदन में एक नहीं बल्कि दो आवेदन किए थे, जिसमें एक प्रभागीय आवेदन भी शामिल था. हालांकि न्यायाधीश सिंह के मुताबिक दोनों ही शुरुआती कदम में तथ्यों की कमी के कारण इसे खारिज किया जा रहा है. बता दें गूगल ने “एकाधिक उपकरणों पर त्वरित संदेश सत्रों का प्रबंधन” नाम के पेटेंट के ग्रांट के लिए आवेदन दायर किया था. हाई कोर्ट ने इसमें शुरुआती पहल में कमी पाई है.
गलत जानकारी देने का आरोप
कोर्ट ने कहा कि गूगल की ओर से दायर मौजूदा अपील में अपीलकर्ता ने न सिर्फ अदालत के सामने गलत तथ्य पेश किए, बल्कि ईयू मूल आवेदन के इनकार के साथ दायर किए गए डिवीजनल आवेदन के बारे में भी जानकारी का खुलासा नहीं किया. इन्वेंटिव कदमों की कमी की वजह से गूगल के आवेदन को असिसेंट कंट्रोलकर ऑफ पेटेंट एंड डिज़ाइन ने अस्वीकार कर दिया. इसमें इन्टलेक्चुअल प्रॉपर्टी अपीलेट बोर्ड के सामने आदेश को चुनौती दी गई थी. आईपीएबी के ख़त्म होने के बाद अपील को हाई कोर्ट में ट्रांसफर कर दिया गया था.
इनकॉग्निटो मोड का यूजर डाटा होगा डिलीट
गूगल अपने क्रोम ब्राउजर में प्राइवेसी फीचर के तौर पर दिए जाने वाले इनकॉग्निटो मोड में भी यूजर के सर्च डाटा का रिकार्ड करता रहा है. इसके खिलाफ 2020 में एक मुकदमा दायर किया गया था. जिसके बाद अब गूगल अमेरिका के करीब 13.6 करोड़ लोगों के इनकॉग्निटो मोड के सर्च डाटा को डिलीट करने पर सहमत हुआ है. इस मामले में समझौते की कीमत करीब 500 करोड़ डॉलर तय की गई है. इसके अलावा गूगल ऐसी पुख्ता व्यवस्था भी बनाएगा, जिससे भविष्य में यूजर का इस तरह का कोई डाटा कलेक्ट नहीं किया जा सके.
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