बुनियादी ढांचा क्षेत्र की 150 करोड़ रुपये या इससे अधिक के खर्च वाली 417 परियोजनाओं की लागत इस साल सितंबर तक तय अनुमान से 4.77 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा बढ़ गई है. एक रिपोर्ट में कहा गया है कि देरी और अन्य कारणों से इन परियोजनाओं की लागत बढ़ी है. सांख्यिकी और कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय 150 करोड़ रुपये या इससे अधिक की लागत वाली बुनियादी ढांचा परियोजनाओं पर नजर रखता है.
मंत्रालय की सितंबर, 2023 की रिपोर्ट में कहा गया है कि इस तरह की 1,763 परियोजनाओं में से 417 की लागत बढ़ गई है, जबकि 842 अन्य परियोजनाएं देरी से चल रही हैं. रिपोर्ट के अनुसार, ‘इन 1,763 परियोजनाओं के क्रियान्वयन की मूल लागत 24,86,402.70 करोड़ रुपये थी लेकिन अब इसके बढ़कर 29,64,345.13 करोड़ रुपये हो जाने का अनुमान है. इससे पता चलता है कि इन परियोजनाओं की लागत 19.22 प्रतिशत यानी 4,77,942.43 करोड़ रुपये बढ़ गई है.’ इसमें कहा गया है कि सितंबर, 2023 तक इन परियोजनाओं पर 15,44,600.67 करोड़ रुपये खर्च हो चुके हैं, जो कुल अनुमानित लागत का 52.11 प्रतिशत है.
हालांकि, मंत्रालय ने कहा है कि यदि परियोजनाओं के पूरा होने की हालिया समयसीमा के हिसाब से देखें तो देरी से चल रही परियोजनाओं की संख्या कम होकर 617 पर आ जाएगी. रिपोर्ट में 298 परियोजनाओं के चालू होने के साल की जानकारी नहीं दी गई है. रिपोर्ट में कहा गया है कि देरी से चल रही 842 परियोजनाओं में से 194 परियोजनाएं एक महीने से 12 महीने, 190 परियोजनाएं 13 से 24 महीने की, 323 परियोजनाएं 25 से 60 महीने और 123 परियोजनाएं 60 महीने से अधिक की देरी से चल रही हैं। इन 842 परियोजनाओं में विलंब का औसत 36.94 महीने है.
इन परियोजनाओं में देरी के कारणों में भूमि अधिग्रहण में विलंब, पर्यावरण और वन विभाग की मंजूरियां मिलने में देरी और बुनियादी संरचना की कमी प्रमुख है. इसके अलावा परियोजना का वित्तपोषण, विस्तृत अभियांत्रिकी को मूर्त रूप दिए जाने में विलंब, परियोजना की संभावनाओं में बदलाव, निविदा प्रक्रिया में देरी, ठेके देने व उपकरण मंगाने में देरी, कानूनी व अन्य दिक्कतें, अप्रत्याशित भू-परिवर्तन आदि की वजह से भी इन परियोजनाओं में विलंब हुआ है.