सशस्त्र बल और भारतीय तटरक्षक बल की क्षमताओं को आने वाले दिनों में और बढ़ावा मिलेगा. सेना की ताकत बढ़ाने के लिए तमाम आधुनिक उपकरण शामिल किए जाएंगे. इसके लिए रक्षा अधिग्रहण परिषद (DAC) ने लगभग 84,560 करोड़ रुपये की परियोजनाओं को मंजूरी दी है. इन प्रस्तावों में वायु रक्षा सामरिक नियंत्रण रडार, भारी वजन वाले टॉरपीडो, मध्यम दूरी के समुद्री टोही और बहु-मिशन समुद्री विमान, उड़ान रिफ्यूलर विमान और सॉफ्टवेयर परिभाषित रेडियो शामिल हैं. इसके अलावा डीएसी ने भूकंपीय सेंसर और अतिरिक्त सुरक्षा सुविधाओं के साथ रिमोट निष्क्रियता के प्रावधान वाली नई पीढ़ी की एंटी-टैंक खदानों की खरीद को भी अनुमति दी है.
सेना के लिए खरीद प्रस्तावों को मंजूरी देने का निर्णय 16 फरवरी को आयोजित हुई बैठक में लिया गया. इसकी अध्यक्षता रक्षा मंत्री ने की. मंत्रालय की ओर से जारी प्रेस रिलीज के मुताबिक स्ट्रैटजिक युद्ध क्षेत्र में ऑपरेटिंग दक्षता और वर्चस्व को बढ़ाने के लिए कनस्तर लॉन्च किए गए. भारतीय-आईडीडीएम श्रेणी के तहत एओएन प्रदान किया गया है और आर्मर लोइटर म्यूनिशन सिस्टम भी दिया गया है. इसके अलावा डीएसी ने रक्षा स्टार्ट-अप इकोसिस्टम को बढ़ावा देने और रक्षा उत्कृष्टता नवाचार (आईडीईएक्स), विकसित स्टार्ट-अप और एमएसएमई से उन्नत प्रौद्योगिकियों की खरीद को बढ़ावा देने के लिए रक्षा अधिग्रहण प्रक्रिया (डीएपी) 2020 में संशोधन को भी मंजूरी दी.
पूंजीगत खर्च के लिए कितना मिला फंड?
वित्त वर्ष 24-25 के लिए रक्षा में पूंजीगत व्यय के लिए बजटीय आवंटन 1.72 लाख करोड़ रुपए है जो वित्त वर्ष 22-23 के वास्तविक व्यय से 20.33% अधिक है. यह आवंटन तीनों सेनाओं की दीर्घकालिक एकीकृत परिप्रेक्ष्य योजना (एलटीआईपीपी) के हिसाब से है. इसका मकसद वित्त वर्ष 2024-25 में कुछ बड़े डील को फाइनल करके सशस्त्र बलों की ताकत बढ़ाना है. उन्हें आधुनिकीकरण के जरिए बेहतर बनाना है. बढ़े हुए बजटीय आवंटन से सशस्त्र बलों को अत्याधुनिक, विशिष्ट प्रौद्योगिकी वाले घातक हथियारों, लड़ाकू विमानों, जहाजों, प्लेटफार्मों, मानव रहित हवाई वाहनों, ड्रोन, विशेषज्ञ वाहनों आदि से लैस किया जाएगा.
रक्षा क्षेत्र के लिए कितना बजट?
वित्त वर्ष 2025 के लिए हाल ही में घोषित अंतरिम बजट के दौरान, केंद्र सरकार ने रक्षा क्षेत्र के लिए 6.21 लाख करोड़ रुपए का बजट रखा है. ये पिछले वर्ष के 5.94 लाख करोड़ रुपए के आवंटन से 4.72 प्रतिशत ज्यादा है. यह राशि कुल बजट का लगभग 13 प्रतिशत थी. बजट का एक महत्वपूर्ण हिस्सा, 27.67 प्रतिशत पूंजी की ओर जाता है. 14.82 प्रतिशत परिचालन तत्परता और निर्वाह के लिए राजस्व व्यय की ओर जाता है. वहीं 30.68 प्रतिशत हिस्सा कर्मचारियों के वेतन और लाभ की ओर जाता है. जबकि 22.72 प्रतिशत रक्षा पेंशन में जाता है और 4.11 प्रतिशत रक्षा मंत्रालय के तहत नागरिक संगठनों को जाता है.
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