इंटरनेट का इस्तेमाल करने वाले वाले बच्चों की उम्र वेरिफाइ करने और उनके पैरेंट्स की अनुमति लेने के लिए सरकार अब आधार आधारित सिस्टम की शुरुआत कर सकती है. सरकार ने आधार के नियमों में सरकार ने कई महत्वपूर्ण बदलाव की तयारी में है. दरअसल, अब आधार से बच्चों की सही उम्र का पता लगाया जाएगा और इसके लिए सरकार उनके माता-पिता की सहमति लेना अनिवार्य करने वाली है.
सरकार कर सकती है बैठक!
केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्रालय डेटा सुरक्षा नियमों पर विचार करने जा रहा है. गौरतलब है कि डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण अधिनियम को चार महीने पहले अगस्त में अधिसूचित किया गया था. आधिकारिक सूत्रों के अनुसार इसके लिए 19 दिसंबर को एक गुप्त बैठक हो सकती है और इस अधिनियम को उपयोग में लाने के लिए कम से कम 25 नियम बनाने होंगे. बच्चों के उम्र के वेरिफिकेशन के लिए पूरी प्रक्रिया को दो चरण में करना होगा. पहले चरण में ऑनलाइन सेवा का उपयोग करने से पहले बच्चे की उम्र सत्यापित करने के लिए एक सहमति ढांचा बनाना होगा. इस अधिनियम में कहा गया है कि कंपनियों को 18 वर्ष से कम उम्र के किसी भी व्यक्ति को अपने प्लेटफॉर्म तक पहुंचने की अनुमति देने के लिए उसके माता-पिता की सहमति लेनी होगी.
इन दो तरीकों से हो सकता है वेरिफिकेशन
इसके लिए या तो माता-पिता के डिजीलॉकर ऐप का उपयोग करना होगा या फिर इलेक्ट्रॉनिक टोकन प्रणाली बनाना होगा. इसके लिए माता-पिता को अपने बच्चों के आधार विवरण को डिजिलॉकर प्लेटफॉर्म पर जोड़ने की अनुमति दी जाएगी.प्लेटफॉर्म यह सत्यापित करने के लिए ऐप को पिंग करने में सक्षम होंगे कि उनकी साइट तक पहुंचने वाला व्यक्ति वास्तव में एक बच्चा है या नहीं. यानी कुल मिलाकर सरकार इस बात की पुष्टि कर सकेगी कि इंटरनेट यूज करने वाला बच्चा 18 साल से ऊपर का है या नहीं.मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, नाम नहीं बताने की शर्त पर एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा कि यह आधार आधारित प्रमाणीकरण होगा.इंटरनेट प्लेटफॉर्म्स को यूजर्स की आधार डिटेल्स नहीं पता होंगी. यह उपयोगकर्ता की उम्र पर आधार डेटाबेस से अनुमति लेने की एक सरल प्रक्रिया है.’