ज्यादातर लोग यही सोचते हैं कि ऑनलाइन ठगी केवल साइबर ठग करते हैं लेकिन ये हर मामले में सच नहीं होता. आज के इस दौर में लोगों को कई तरह से ठगा जा रहा है और दिलचस्प बात ये है कि फ्रॉड करने वाला कोई बाहर वाला नहीं होता. ऐसा भी जरूरी नहीं है कि कोई चोर ही आपसे फ्रॉड करे. आजकल ठगी के लिए डार्क पैटर्न्स को अपनाया जा रहा है. डार्क पैटर्न वो तरीका है जिसे बड़े-बड़े संस्थान अपनी मार्केटिंग टैक्टीस में फिट करके आपको लूट रहें हैं. अब तक ई-कॉमर्स कंपनियां ही इस तरह के हथकंडे अपनाती थीं. लेकिन अब ऑनलाइन बैंकिंग और दूसरी वित्तीय सेवाओं में भी ऐसा होने लगा है. आज हम समझते हैं कि ऑनलाइन बैंकिंग में डार्क पैटर्न का कैसे इस्तेमाल किया जा रहा है और इससे आप कैसे बच सकते हैं.
क्या है डार्क पैटर्न
डार्क पैटर्न के नाम में ही इसका मतलब है. डार्क यानी अंधेरा और पैटर्न यानी तरीका. ग्राहक को अंधेरे में रखकर अपना सामान या किसी तरह की सर्विस बेचने के लिए गलत या आधी-अधूरी जानकारी देना डार्क पैटर्न कहलाता है. ई-कॉमर्स कंपनियों ने इस टैक्टीस को खूब इस्तेमाल किया लेकिन अब ऑनलाइन बैंकिंग में भी डार्क पैटर्न्स के जरिए झांसा दिया जा रहा है. कभी ब्याज पर आधी जानकारी देकर लोन दिया जा रहा है तो कभी फ्री ऑफ कॉस्ट कहकर हिडन चार्जेज की लंबी लिस्ट थमा दी जा रही है. इतना ही नहीं, लोगों को जबरदस्ती आनचाहे सब्सक्रिप्शन के जाल में भी फंसाया जा रहा है..ये सब वे डार्क पैटर्न्स हैं जिनसे कस्टमर को धोखा दिया जा रहा है.
हिडन चार्ज
ऑनलाइन बैंकिंग में डार्क पैटर्न्स पर कंज्यूमर सर्वे प्लेटफॉर्म LocalCircles का सर्वे बताता है कि हर 10 में से 6 लोग यानी करीब 63 फीसद लोगों ने ऑनलाइन बैंकिंग में हिडेन चार्जेज का सामना किया है. जैसे कि सौरभ के साथ हुआ. सौरभ ने 5 लाख रूपए का पर्सनल लोन लिया. बैंक के एक्जीक्यूटिव ने फोन करके कहा कि फटाफट ऑनलाइन अप्लाई कीजिए और 11 फीसद के इंटरेस्ट रेट पर लोन ले लीजिए. लेकिन ये नहीं बताया गया कि अलग-अलग टर्म्स एंड कंडीशंस के साथ 36 फीसद तक का इंटरेस्ट रेट चुकाना पड़ेगा. सौरभ को ये तब पता चला जब उन्होंने EMI चुकाना शुरू किया.
Interface interference का सामना
लोकल सर्कल के 363 जिलों में किए गए सैंपल सर्वे में 41 फीसद यूजर ने interface interference का सामना किया. इस डार्क पैटर्न में ऑनलाइन बैंकिंग प्लेटफॉर्म कंज्यूमर के ट्रांजैक्शन के समय इंटरफेयर करते हैं और उन्हें किसी एडिशनल प्रोडक्ट या सर्विस के सब्सक्रिप्शन या खरीदारी के लिए पुश करते हैं. जैसे कि आप बैंक की वेबसाइट पर क्रेडिट कार्ड का बिल पे करने की कोशिश कर रहें हैं और बैंक कभी लोन के लिए तो कभी क्रेडिट कार्ड अपग्रेड के पॉप-अप ऐड भेजता रहे. यानी बिल पेमेंट का काम ग्राहक आराम से पूरा ही नहीं कर पाता. ऊपर से अनचाहे मेसेज को बार-बार बंद भी करना पड़ता है. यही Interface interference है. मतलब आपको जबरदस्ती के ऐड दिखाना, किसी गैरजरूरी सर्विस को खरीदने के लिए उकसाना.
क्या है सब्सक्रिप्शन ट्रैप
सर्वे में 32 फीसद यूजर ने subscription traps का अनुभव किया. Subscription traps तब होता है जब कंज्यूमर किसी नए ऑनलाइन प्रोडक्ट या सर्विस के लिए आसानी से साइन अप तो कर लेते हैं लेकिन उस सर्विस के लिए बार-बार चार्ज वसूले जाते हैं और आप चाहकर भी आसानी से उस सर्विस को कैंसल नहीं कर पाते. इसे बंद कराने के लिए बैंक ब्रांच जाना पड़ता है. इसके अलावा 39% यूजर के साथ Bait and Switch के मामले हुए. इसमें लोन ऑफर करते समय आकर्षक इंटरेस्ट रेट दिखाया जाता है, डिपॉजिट पर अच्छा इंटरेस्ट रेट देने की बात कही जाती है लेकिन बाद में पता चलता है कि इंटरेस्ट रेट तो अलग है ऊपर से कई सारे छिपे हुए चार्जेज भी देने होंगे.
डार्क पैटर्न्स के इस्तेमाल को लेकर आगाह
सरकार लगातार डार्क पैटर्न्स को लेकर सख्ती बरत रही हैं. इसके बावजूद इसमें कमी नहीं आई है. पिछले साल RBI के Deputy Governor M. Rajeshwar Rao ने डिजिटल लोन की मिससेलिंग में डार्क पैटर्न्स के इस्तेमाल को लेकर आगाह किया था. उन्होंने कहा था कि लोगों को गुमराह कर महंगे लोन की तरफ ढकेला जा रहा है. बढ़ती दिक्कतों को देखते हुए 2023 में Central Consumer Protection Authority यानी CCPA ने उपभोक्ताओं के अधिकारों की रक्षा के लिए एक गैजट नोटिफिकेशन जारी किया था. इसे “Guidelines for prevention and regulation of dark patterns” का नाम दिया गया है. इसके दायरे में भारत में वस्तु और सेवाएं देने वाले सभी प्लेटफॉर्म्स, एडवटाइजर्स और सेलर्स हैं.
क्या कहते हैं एक्सपर्ट?
बैंकिंग एक्सपर्ट अमित तंवर कहते हैं कि SMS, व्हाट्सऐप मैसेज, ईमेल या डायरेक्ट कॉल के जरिए लगभग हर किसी को डार्क पैटर्न्स का शिकार बनाया जा रहा है. कस्टमर को कभी सस्ते लोन का लालच दिया जाता है तो कभी किसी सर्विस को बेहद जरूरी बताकर सब्सक्राइब करने को कहा जाता है. इस तरह लोग कभी हिडेन चार्जेज का सामना करते हैं तो कभी सब्सक्रिप्शन ट्रैप में फंसते हैं. ये समस्या बहुत पुरानी नहीं है क्योंकि भारत में ऑनलाइन बैंकिंग पिछले एक दशक में ही पॉपुलर हुआ है. जहां ऑनलाइन बैंकिंग ने बैंकिंग को आसान कर दिया है, वहीं इन दिक्कतों की वजह से ऑनलाइन बैंकिंग से लोगों का भरोसा उठ सकता है.
ऑनलाइन बैंकिंग में डार्क पैटर्न
बढ़ती समस्या को देखते हुए ये तय है कि RBI, बैंकों और सभी स्टेकहोल्डर्स को और एक्टिव होना पड़ेगा. हालांकि इसमें देरी हो सकती है लेकिन उम्मीद है कि सरकार जिस तरह ई-कॉमर्स कंपनियों को लेकर सख्त हुई है, online banking में डार्क पैटर्न की दिक्कतों को लेकर भी वैसी ही सख्ती दिखाएगी. लेकिन नियम-कानून के पेंच दुरुस्त होने से पहले ये भी जरूरी है कि खुद कस्टमर्स इस समस्या को समझें.
ऑनलाइन बैंकिंग के इन डार्क पैटर्न्स से बचने के लिए जरूरी है कि ग्राहक लोन लेते समय सभी चार्जेज के बारे में पूछताछ करें. लोन पर एक्चुअल इंटरेस्ट क्या होगा, annual percentage rate यानी APR की लिखित जानकारी मांगें क्योंकि इसमें इंटरेस्ट, प्रोसेसिंग फीस सहित सभी कॉस्ट शामिल होते हैं. ऑनलाइन कोई लोन या कार्ड लेने से पहले सारे नियम और शर्तें जरूर पढ़ें. कई बार टर्म्स एंड कंडीशंस के साथ स्टार का साइन बना होता है…इस पर जरूर ध्यान दें. किसी डार्क पैटर्न का निशाना बनने पर आप इसकी शिकायत भी कर सकते हैं. आप 1915 नंबर पर डायल कर National Consumer Helpline से शिकायत कर सकते हैं या फिर Whatsapp के जरिए 8800001915 पर भी शिकायत कर सकते हैं.
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