भारतीय एफएमसीजी उद्योग ने वर्ष 2024 की जनवरी-मार्च अवधि में नेशनल लेवल पर 6.5 फीसद की बढ़ोतरी दर्ज की है. इसके साथ ही, पिछले पांच तिमाहियों में पहली बार ग्रामीण क्षेत्रों में दैनिक उपयोग की वस्तुओं की मांग ने शहरी मांग को पीछे छोड़ दिया है. नील्सनआईक्यू (NielsenIQ) ने एक रिपोर्ट में इसकी जानकारी दी है. दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था में कंज्यूमर गुड्स मैन्यूफैक्चरर्स सुस्त मांग से जूझ रहे हैं. दूध और टमाटर समेत जरूरी चीजों की बढ़ती कीमतों ने लोगों को गैर-जरूरी चीजों पर खर्च में कटौती करने के लिए मजबूर कर दिया है. ऐसे में मांग और खपत दोनों में कमी दिख रही है.
कंज्यूमर्स से जुड़ी सूचनाएं देने वाली फर्म नील्सनआईक्यू (NielsenIQ) ने दैनिक उपयोग वाले प्रोडक्ट्स (FMCG) पर एक तिमाही रिपोर्ट जारी की है. इस रिपोर्ट में कहा गया है है कि फूड एवं नॉन फूड प्रोडक्ट्स दोनों का खपत बढ़ने योगदान रहा है. लेकिन भोजन की तुलना में नॉन- फूड केटेगरी में लगभग दोगुनी बढ़ोतरी दिखी. मार्च तिमाही में घरेलू एफएमसीजी उद्योग का मूल्य 6.6 फीसद बढ़ा है क्योंकि नेशनल लेवल पर पूरे भारत में क्वांटिटी के आधार पर 6.5 फीसद बढ़ोतरी रही है. पिछले साल इसी अवधी में क्वांटिटेटिव ग्रोथ 3.1 फीसद थी.
नील्सनआईक्यू के कंज्यूमर डिविजन के हेड, रूजवेल्ट डिसूजा ने कहा कि एफएमसीजी उद्योग में जनवरी-मार्च तिमाही में खपत बढने से अच्छी बढ़ोतरी दिख रही है. पांच तिमाहियों में पहली बार ग्रामीण क्षेत्रों ने शहरी वृद्धि को पीछे छोड़ दिया है. डिसूजा ने कहा कि खासकर होम और पर्सनल केयर प्रोडक्ट फूड प्रोडक्ट्स से ज्यादा बिके. फूड केटेगरी में छोटे प्रोडक्ट्स ज्यादा बिके जबकि होम और पर्सनल केयर में बड़े साइज़ के प्रोडक्ट्स की मांग और खपत के चलते अच्छी बिक्री दिखी.
एनआईक्यू ने कहा कि शहरी क्षेत्र और मॉडर्न बिजनेस में खपत कम हुई है, जबकि ग्रामीण और पारंपरिक कारोबार में तेजी बनी हुई है. एनआईक्यू ने कहा, ‘ग्रामीण मांग वृद्धि ने धीरे-धीरे रफ्तार पकड़ी है और शहरी क्षेत्र को पीछे छोड़ दिया है. शहरी उपभोक्ता मांग में धीरे धीरे लगातार गिरावट हो रहा है.’
रिपोर्ट के अनुसार, पूरे भारत में फूड और नॉन फूड दोनों ने कांजम्पशन ग्रोथ में योगदान दिया, लेकिन नॉन फूड की खपत लगभग दोगुनी रही. एनआईक्यू ने कहा कि एफएमसीजी उद्योग में छोटी कंपनियों की तुलना में बड़ी कंपनियों का प्रदर्शन बेहतर है. हालांकि, बीती दो तिमाहियों में बड़ी कंपनियों की तुलना में छोटी कंपनियों ने नॉन फूड केटेगरी में अच्छी बढ़ोतरी रही.
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