प्राइवेट कंपनियों की तरफ से कर्मचारियों के प्रॉविडेंट फंड के पैसे को EPFO में जमा कराने का डिफॉल्ट लगातार बढ़ रहा है. कर्मचारी भविष्य निधि संगठन यानी EPFO की रिपोर्ट के मुताबिक पिछले 5 वर्षों में इस डिफॉल्ट में करीब 10 फीसद की बढ़ोतरी हुई है. EPFO के मुताबिक वित्तवर्ष 2022-23 के दौरान ऐसा करीब 15 हजार करोड़ रुपए बचा हुआ है जिसे कंपनियों को EPFO के पास जमा कराना है.
ईपीएफओ की रिपोर्ट के मुताबिक 2018-19 में प्राइवेट कंपनियों का पीएफ का बकाया 74.2 फीसद, 2019-20 में 77.6 फीसद, 2020-21 में 79.8 फीसद, 2021-22 में 82.2 फीसद और 2022-23 में 83.17 फीसद था. बीते 5 साल में पीएफ के बकाये में 8.97 फीसद की बढ़ोतरी दर्ज की गई है. कोरोना महामारी के तीन साल की अवधि 2020-21 से 2022-23 के दौरान प्राइवेट कंपनियों के पीएफ के बकाये में 5.57 फीसद की बढ़ोतरी दर्ज की गई है.
ईपीएफओ के द्वारा 2018-19 में 8,922 करोड़ रुपए, 2019-20 में 10,509.60 करोड़ रुपए, 2020-21 में 11,152.5 करोड़ रुपए और 2021-22 में 14,202.4 करोड़ रुपए की राशि वसूल की जानी थी. 2022-23 की रिपोर्ट के मुताबिक कुल पीएफ बकाया 8,762.76 करोड़ रुपए और पेंशन के बकाये की राशि 4,289.05 करोड़ रुपए थी. ईपीएफ प्रशासन और निरीक्षण शुल्क का बकाया 566.48 करोड़ रुपए और बीमा निधि का बकाया 322.51 करोड़ रुपए था.