हाल ही में ईडी की ओर से मनी लॉन्ड्रिंग मामले में गिरफ्तार किए गए चाइनीज स्मार्टफोन निर्माता वीवो के दो वरिष्ठ कर्मचारियों की मदद के लिए चीन आगे आया है. दोनों कर्मचारियों को कॉन्सुलर और अन्य सहायता मुहैया कराई जाएगी. ये बात विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता माओ निंग ने सोमवार को कही. उनका कहना है कि हम भारत सरकार के निर्देशों का बारीकी से पालन कर रहे हैं. मगर चीनी सरकार अपने देश की कंपनियों को उनके वैध अधिकारों और हितों की रक्षा के लिए दृढ़ता से समर्थन करती है. इसी के चलते गिरफ्तार किए गए कर्मचारियों को सहायता प्रदान की जाएगी. इतना ही नहीं प्रवक्ता ने भारत से चीनी कंपनियों के साथ भेदभाव नहीं करने का आग्रह करने की बात कही है.
सूत्रों के मुताबिक मामले में गिरफ्तार दोनों कर्मचारियों को शनिवार को दिल्ली की एक अदालत में पेश किया गया और बाद में उन्हें ईडी की हिरासत में भेज दिया गया. ईडी केस की चार्जशीट में कहा है कि कंपनी ने साल 2014 से 2021 तक शेल कंपनियों के जरिए 1 लाख करोड़ रुपए कालाधन विदेशों में भेजा है. ईडी ने इससे पहले इस मामले में चार लोगों की गिरफ्तारी की थी. जिनमें मोबाइल कंपनी लावा इंटरनेशनल के प्रबंध निदेशक हरिओम राय, चीनी नागरिक गुआंगवेन उर्फ एंड्रयू कुआंग और चार्टर्ड अकाउंटेंट नितिन गर्ग तथा राजन मलिक शामिल थे.
क्या होता है कॉन्सुलर एक्सेस?
इसका मतलब है कि जिस देश का कैदी है उस देश के राजनयिक या अधिकारी को जेल में बंद कैदी से मिलने की इजाजत दी जाए. उदाहरण के तौर पर जिस तरह से भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव को पाकिस्तान ने जेल में कैद कर रखा था. तब भारतीय सरकार की ओर से भारतीय उच्चायुक्त या उच्चायोग के अधिकारी को कुलभूषण से मिलने की इजाज़त मिली थी. इस प्रक्रिया को ही कॉन्सुलर एक्सेस कहते हैं.