बैंक में सोना गिरवी रखकर लोन लेना एक आम बात है, लेकिन बिना सोने के बैंक ऑफ बड़ौदा (BOB) की ओर से गोल्ड लोन दिए जाने का अजीबो-गरीब मामला सामने आया है. सूत्रों के मुताबिक BOB की कुछ शाखाओं के कर्मचारियों ने पिछले साल कड़े लक्ष्य को पूरा करने के लिए नकली गोल्ड लोन बांटे हैं, जिससे नियामक दिशानिर्देशों का उल्लंघन हुआ है. इतना ही नहीं इससे जमाकर्ताओं के पैसे को भी जोखिम में डाला गया है.
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक दक्षिण भारत में BOB के कुछ कर्मचारियों ने मित्रवत ग्राहकों के साथ मिलकर इस योजना को अमल में लाए. शाखा ने बिना किसी कोलैटरल के गोल्ड लोन मंजूर किए और ग्राहक के खाते में पैसा जमा किए. इतना ही नहीं कुछ समय बाद सामान्य लोन रीपेमेंट की तरह, पैसा वापस बैंक में जमा कर दिया जाता है. यह सुनिश्चित करने के लिए कि ग्राहक पैसे का उपयोग न करे, उसके विरुद्ध एक ग्रहणाधिकार बनाया जाता है. यह किसी खाते पर एक विशिष्ट राशि पर रोक के समान है. इससे कर्मचारियों को बिना कोई वास्तविक लोन लिए या चुकाए अपना लक्ष्य पूरा करने में मदद मिलती है.
बैक डेट रीपेमेंट से दिया चकमा
बैंक कर्मचारियों ने सिस्टम को चकमा देने के लिए रीपेमेंट पिछली तारीख से किया. बैंकरों ने कथित तौर पर पिछली तारीख यानी बैंक डेट में भुगतान किया, ताकि बाद में ऐसा लगे कि ऋण उसी दिन चुका दिया गया था. रीपेमेंट की यह बैक-डेटिंग प्रणाली को यह विश्वास दिलाती है कि ऋण वितरण के दिन ही वसूल कर लिया गया है, इस प्रकार ब्याज शुल्क उलट जाता है.
ऑडिट में हुआ खुलासा
दिसंबर में बैंक ने एक दस्तावेज़ सौंपें. इसके ऑडिट डिवीजन की ओर से ऑफसाइट निगरानी में अप्रैल और सितंबर के बीच गोल्ड से संबंधित कुछ खामियों पता चला. इसमें पाया गया कि तीन महीने के भीतर कुछ खाते खोले और बंद किए गए थे. बैंक ने पाया कि जहां 4,679 लोन खाते एक से तीन दिनों के भीतर बंद कर दिए गए, वहीं 238 खाते उसी दिन बंद कर दिए गए और विशिष्ट ऋण उत्पादों को आगे बढ़ाने के विशेष अभियान अवधि के भीतर 2,512 खोले और बंद किए गए. रिपोर्ट के मुताबिक बैंक के पास लगभग 27 लाख (2.7 मिलियन) खाते हैं, इनमें से गोल्ड लोन खातों में कुछ खामियों की पहचान की गई.
क्या कहते हैं विशेषज्ञ
विशेषज्ञों का कहना है कि बिना गारंटी के गोल्ड लोन बांटना सीधे तौर पर गारंटी के बदले ऋण देने के बुनियादी सिद्धांतों का उल्लंघन है. इस बारे में क्रेड ज्यूर के मैनेजिंग पार्टनर अंकुर महिन्द्रो का कहना है कि अगर ये ऋण बेकार हो जाते हैं या सोने के आभूषण मौजूद नहीं होते हैं, तो बैंक को ऋण राशि खोने का जोखिम होता है, जिसका बैंक और उसके ग्राहकों के लिए महत्वपूर्ण वित्तीय प्रभाव होगा.
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