बिहार की नीतीश कुमार सरकार ने 2028 तक राज्य में सभी वाहन पंजीकरण में इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) की हिस्सेदारी 15 प्रतिशत करने के लक्ष्य के साथ मंगलवार को बिहार इलेक्ट्रिक वाहन नीति-2023 को मंजूरी दे दी. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में मंगलवार को यहां हुई कैबिनेट की बैठक में इस आशय का निर्णय लिया गया.
मंत्रिमंडल सचिवालय विभाग के अपर मुख्य सचिव एस सिद्धार्थ ने कैबिनेट बैठक के बाद संवाददाताओं से कहा, ‘योजना का मुख्य उद्देश्य इलेक्ट्रिक वाहनों की खरीद को प्रोत्साहन देकर और इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए आवश्यक चार्जिंग ढांचा स्थापित करके इलेक्ट्रिक और हाइब्रिड वाहनों की स्वीकार्यता को प्रोत्साहित करना है. यह योजना पर्यावरण प्रदूषण और ईंधन सुरक्षा में मदद करेगी.’
उन्होंने आगे कहा कि बिहार इलेक्ट्रिक वाहन नीति-2023 अगले पांच वर्षों के लिए महत्वाकांक्षी लक्ष्यों की रूपरेखा तैयार करती है। इसमें 2028 तक बिहार में पंजीकृत सभी नए वाहनों में से इलेक्ट्रिक वाहनों की हिस्सेदारी 15 प्रतिशत करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है.
सिद्धार्थ ने कहा कि इलेक्ट्रिक वाहनों को अपनाने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए ईवी नीति मोटर वाहन (एमवी) कर पर 75 प्रतिशत तक अनुदान और पहले व्यक्तिगत 1,000 चारपहिया ईवी के लिए 1.25 लाख रुपये तक की खरीद प्रोत्साहन सहित विभिन्न उपाय पेश करती है।
उन्होंने कहा, ‘पहले व्यक्तिगत 10,000 दोपहिया ईवी के लिए समान लाभ एमवी कर पर 75 प्रतिशत तक अनुदान हैं और 10,000 रुपये तक का खरीद प्रोत्साहन है.’ सिद्धार्थ ने कहा कि इसका उद्देश्य इलेक्ट्रिक परिवहन क्षेत्र और इससे जुड़े सहायक उद्योगों में स्टार्टअप और निवेश को बढ़ावा देते हुए वायु प्रदूषण को कम करके पर्यावरणीय गुणवत्ता को बढ़ाना है.
यह नीति ईवी चार्जिंग स्टेशनों के लिए नवीकरणीय ऊर्जा के उपयोग को भी बढ़ावा देती है। वित्त वर्ष 2023-24 के लिए हाई टेंशन ईवी चार्जिंग स्टेशनों के लिए अनुमोदित शुल्क दरें आठ रुपये प्रति केवीए निर्धारित की गई हैं. अपर मुख्य सचिव ने कहा कि इसके अलावा इस नीति में ईवी और उनके घटकों को कबाड़ (स्क्रैप) करने के लिए प्रोत्साहन के प्रावधानों को रेखांकित किया गया है।
राज्य कैबिनेट ने राज्य के छह जिलों के लिए पीएम-ई बस सेवा कार्यक्रम के तहत 400 इलेक्ट्रिक बसें खरीदने के परिवहन विभाग के प्रस्ताव को भी मंजूरी दे दी। ये बसें पटना, मुजफ्फरपुर, गया, भागलपुर, दरभंगा और पूर्णिया जिले में संचालित होंगी. सिद्धार्थ ने कहा कि ऐसा पारंपरिक पेट्रोल और डीजल से चलने वाले सार्वजनिक परिवहन पर निर्भरता कम करने के लिए किया गया है।
इसके अलावा कैबिनेट ने पश्चिम चंपारण और पूर्वी चंपारण जिलों में 2,000 लोगों के बैठने की क्षमता वाले दो सभागारों के निर्माण के लिए 95 करोड़ रुपये के संशोधित बजट अनुमान को मंजूरी दे दी।
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