बैंक के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स रिलेटेड पार्टी के लोन के नियम में बदलाव चाहते हैं. डायरेक्टर्स चाहते हैं कि उनसे रिलेटेड व्यक्तियों के लोन रिन्युअल प्रोसेस में उन्हें शामिल न किया जाए. दरअसल रिलेटेड पार्टी की परिभाषा बहुत व्यापक है. इसमें पति-पत्नी, पिता, माँ, सौतेली माँ, बेटा या सौतेला बेटा आदि शामिल होते हैं. ऐसे में जब भी कोई रिलेटेड वयक्ति लोन रिन्युअल के लिए आता है तो इसके लिए बैंक के बोर्ड की क्लियरेंस जरूरी होती है. बैंक चाहते हैं कि RBI इस पुराने नियम में बदलाव करें और बोर्ड को ‘संबंधित पक्ष’ मामलों में लोन रिन्युअल से बाहर रखा जाए.
क्या है पूरा मामला
बैंकिंग विनियमन अधिनियम, 1949 के तहत, जब तक कि निदेशक मंडल या प्रबंधन समिति द्वारा मंजूरी नहीं दी जाती है, एक बैंक को 5 करोड़ रुपये से अधिक उधार नहीं देना चाहिए. ऐसी कंपनी में जहां बैंक के किसी भी निदेशक का ‘रिश्तेदार’ लेंडर के बोर्ड में है, या भागीदार, गारंटर या एक प्रमुख शेयरधारक या उधार लेने वाली कंपनी के नियंत्रण में है. ऐसे संबंधित पक्ष के मामलों में, बैंक की ऑडिट समिति यह भी प्रमाणित करती है कि क्या लेन देन आर्मलेंथ के सिद्धांत पर किया गया था.
अब, ऋणदाता चाहते हैं कि नियामक पुराने नियम में बदलाव करे. बैंकरों ने भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) से नियमन में संशोधन करने के लिए कहा है ताकि ‘संबंधित पक्ष’ का मुद्दा होने पर बैंक बोर्ड कर्ज के नवीनीकरण के प्रस्तावों में शामिल न हों.
क्या होती है रिलेटेड पार्टी/ रिश्तेदार
‘रिश्तेदार’ शब्द व्यापक है, जिसमें पति/पत्नी, पिता, माता, सौतेली माँ, बेटा, सौतेला बेटा, बेटे की पत्नी, बेटी, सौतेली बेटी, बेटी का पति, भाई, सौतेला भाई, भाई की पत्नी, बहन, सौतेली बहन, बहन की पत्नी, बहन का पति, पत्नी का भाई, सौतेला भाई, पत्नी की बहन और सौतेली बहन शामिल है.