भारतीय रिजर्व बैंक के असुरक्षित माने जाने वाले कर्ज के लिये नियम सख्त करते हुए जोखिम भार बढ़ाये जाने से बैंकों को 84,000 करोड़ रुपये की पूंजी की जरूरत होगी. देश के सबसे बड़े बैंक एसबीआई के अर्थशास्त्रियों ने यह बात कही है.
रिजर्व बैंक ने बृहस्पतिवार को बैंकों और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) के लिये असुरक्षित माने जाने वाले व्यक्तिगत कर्ज, क्रेडिट कार्ड जैसे कर्ज से जुड़े नियम को सख्त कर दिया. संशोधित मानदंड में जोखिम भार में 25 प्रतिशत की वृद्धि की गई.
अर्थशास्त्रियों ने रिपोर्ट में यह भी कहा कि चूंकि प्रमुख नीतिगत दर रेपो उच्चस्तर पर पहुंच चुकी है, ऐसे में आरबीआई वृद्धि और मुद्रास्फीति को लेकर तय लक्ष्यों को हासिल करने के लिये नकदी प्रबंधन और सूझबूझ वाले वृहद आर्थिक उपायों का सहारा ले रहा है.
एसबीआई के अर्थशास्त्रियों ने कहा, ‘‘बढ़े हुए जोखिम भार का तत्काल प्रभाव यह होगा कि बैंकों को अतिरिक्त पूंजी की आवश्यकता होगी. हमारा अनुमान है कि बैंक उद्योग को इससे 84,000 करोड़ रुपये की अतिरिक्त पूंजी की जरूरत होगी.’’
एसबीआई के अर्थशास्त्रियों ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि जोखिम भार बढ़ाने के निर्णय के जरिये संभवत: आरबीआई ने एक मजबूत संदेश दिया है. इसके जरिये उसने संदेश दिया है कि वह किसी भी शुरुआती वित्तीय स्थिरता को लेकर जोखिम से निपटने को लेकर पूरी तरह से तैयार है.
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि आरबीआई ने जो कदम उठाया है, वह बैंकों और एनबीएफसी में संपत्ति के मोर्चे पर दबाव और उससे नुकसान की पहचान की दिशा में उठाये जा रहे कदमों के अनुरूप है.