बैंक अपने ग्राहकों को तमाम सुविधाएं मुहैया कराता है, इनमें डेबिट कार्ड फैसिलिटी भी एक है. अक्सर लोग एटीएम से पैसे निकालने के लिए कार्ड स्वाइप करते हैं, लेकिन अनजाने में की गई उनकी एक गलती उन पर भारी पड़ सकती है. बैंक इसके बदले उनसे तगड़ा चार्ज वसूलते हैं. ये शुल्क डेबिट कार्ड डिक्लाइन या ट्रांजैक्शन डिक्लाइन फीस के नाम से जाना जाता है. हालांकि कई बार इस चार्ज को हटाए जाने की मांग की गई. ऑल इंडिया बैंक डिपॉजिटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया ने भी इसे खत्म करने की बात कही थी. वहीं अब एक स्टडी रिपोर्ट में भी ऐसे शुल्क को गलत ठहराया गया है.
स्टडी के अनुसार लेनदेन पर बैंकों की ओर से लगाए गए सेवा शुल्क में काफी अंतर है, ये न तो सही है और न ही आरबीआई के निर्धारित लागत को दर्शाता है. बैंक अक्सर उन ग्राहकों के खाते से डेबिट कार्ड डिक्लाइन फीस वसूलते हैं जब वे एटीएम से पैसे निकालने की कोशिश करते हैं, लेकिन उनका अकाउंट बैलेंस कम होता है, नतीजतन ट्रांजैक्शन फेल हो जाता है. बैंक इसके बदले 17 से 25 रुपए तक शुल्क काट लेते हैं.
स्टडी के अनुसार ट्रांजैक्शन कैंसल होने पर बैंक को इसमें कोई लेनदेन लागत नहीं देनी होती है क्योंकि बैंक किसी थर्ड पार्टी यानी जिस बैंक का एटीएम उपयोग किया जाता है या नेटवर्क प्रोवाइडर एनपीसीआई को कोई शुल्क नहीं देता है. ऐसे में ग्राहकों से वसूला जाने वाला चार्ज सही नहीं है. यह स्टडी आईआईटी बॉम्बे के प्रोफेसर आशीष दास ने किया है. उनके पहले के अध्ययनों के चलते आरबीआई ने एटीएम शुल्क को लेकर दोबारा काम किया और बैंकों को यूपीआई का उपयोग करके विड्रॉल के लिए शुल्क वापस करने के लिए मजबूर किया था.