NPA खातों को विलफुल डिफॉल्टर घोषित करने के लिए बैंकों ने मांगा और वक्त
सितंबर में आरबीआई ने जानबूझकर लोन न चुकाने वाले बड़े डिफॉल्टर्स के लिए समझौता निपटान और तकनीकी राइट ऑफ में इन्हें शामिल करने की रूपरेखा तैयार करने के निर्देश दिए थे
एनपीए अकाउंट होल्डर्स को विलफुल डिफॉल्टर घोषित किए जाने को लेकर बैंकों ने भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) से और वक्त्त मांगा है. उन्होंने प्रक्रिया को पूरा करने के लिए 6 महीने की और मोहलत मांगी है. दरअसल सितंबर में आरबीआई ने जानबूझकर लोन न चुकाने वाले और बड़े डिफॉल्टर्स के निपटान के लिए समझौता निपटान और तकनीकी राइट ऑफ में इन्हें शामिल करने की रूपरेखा तैयार करने के निर्देश दिए थे. इसके लिए 6 महीने का वक्त दिया गया था, लेकिन बैंक समय सीमा को आगे बढ़ाने की मांग कर रहे हैं.
केंद्रीय बैंक पहले भी बैंकों के और समय मांगे जाने की अपील को खारिज कर चुका है. बैंकों ने ये दलील दी थी कि छह महीने में दिशानिर्देशों के कार्यान्वयन को लागू करना काफी मुश्किल है. बैंकों ने दिसंबर के अंत तक अंतिम दिशानिर्देश जारी होने से पहले दोबारा आरबीआई का दरवाजा खटखटाया है.
एक बैंक अधिकारी ने कहा कि हमने भारतीय बैंक संघ के जरिए आरबीआई से समय बढ़ाने की मांग की है. अपील में कहा गया है कि खातों को एनपीए के रूप में वर्गीकृत किए जाने के लिए कम से कम एक साल की मोहलत मिलनी चाहिए. बैंकरों ने तर्क दिया है कि प्रक्रिया को पूरा करने के लिए छह महीने पर्याप्त नहीं हो सकते हैं, क्योंकि उन्हें किसी खाते को जानबूझकर डिफॉल्ट कैटेगरी में डालने से पहले बैंकों को व्यक्तिगत रूप से सुनवाई की आवश्यकता होती है. इस बार बैंकों को उम्मीद है कि नियामक उनकी अपील पर विचार करेगा और मसौदा नियमों में अनुकूल संशोधन करेगा.