अगर आप भी नया घर खरीदना चाहते हैं तो होम लोन आपके लिए काफी मददगार साबित हो सकता है. अभी होम लोन की ब्याज दरें 7% के आसपास चल रही हैं. ऐसे में घर या प्रॉपर्टी खरीदने के लिए ये सही समय हो सकता है. हलांकी होम लोन के लिए आवेदन करने से पहले आपको काफी रिसर्च करने की जरूरत है. कई बार ऐसा होता है कि आपको बहुत सी औपचारिकता के बारे में पता ही नहीं होता. होम लोन के आवेदन पर विचार करते समय कर्जदाता कई चीजों को ध्यान में रखते हैं. इनमें से प्रमुख आपकी आय, उम्र, काम करने की बाकी उम्र, LTV रेश्यो, प्रॉपर्टी की विशेषताएं और आपकी मौजूदा लोन का पुनर्भुगतान शामिल है. इसके अलावा एक महत्वपू्र्ण चीज है फिक्स ऑब्लिगेशन टू इनकम रेश्यो. अगर आप चाहते हैं की आपका होम लोन एप्लिकेशन रिजेक्ट न हों तो इस रेश्यो का ध्यान रखें. आइए जानते हें इसके बारे में.
क्या है फिक्स ऑब्लिगेशन टू इनकम रेश्यो
जब हम बैंक में लोन के लिए अप्लाई करते हैं तो बैंक फिक्स ऑब्लिगेशन टू इनकम रेशियो (FOIR) भी देखता है. इससे पता चलता है कि आप हर महीने लोन की कितने रुपए तक की किस्त दे सकते हैं. FOIR से पता चलता है कि आपकी पहले से जा रही ईएमआई, घर का किराया, बीमा पॉलिसी और अन्य भुगतान मौजूदा आय का कितना फीसदी है. अगर लोन दाता को आपके ये सभी खर्च आपकी सैलरी के 50% तक लगते हैं तो वह आपकी लोन एप्लिकेशन को रिजेक्ट कर सकते है. इसीलिए यह ध्यान भी रखें की लोन की रकम इससे ज्यादा न हो.
इस वजह से भी होता है होम लोन रिजेक्ट
लोन की अवधि ज्यादा होना
बैंक और NBFC आमतौर पर 30 साल तक के लिए लोन देते हैं. लेकिन अगर आपकी उम्र ज्यादा है तो आपको कम अवधि के लिए लोन लेना चाहिए.
क्रेडिट स्कोर कमजोर होना
क्रेडिट स्कोर सबसे अहम चीजों में शामिल है, जिन्हें कर्जदाता होम लोन ऐप्लीकेशन का मूल्यांकन करते हुए देखते हैं. अच्छे क्रेडिट स्कोर, यानी 700 या ज्यादा होने से लोन की योग्यता बढ़ सकती है और ब्याज की दर भी कम होगी
किसी डिफॉल्टर का गारंटर बनना
हो सकता है कि आपने दोस्ती की वजह से किसी ऐसे व्यक्ति के होम या अन्य लोन की गारंटी दे दी है जो लोन के किस्त चुकाने में विफल रहा हो. आपकी दी हुई गारंटी की वजह से किसी व्यक्ति के लोन की रकम डिफॉल्ट करने पर आपकी क्रेडिट हिस्ट्री पर असर पड़ता है और आपके लोन का आवेदन खारिज किया जा सकता है.
ज्यादा लोन के लिए न करें अप्लाई
ज्यादा लोन-टू-वैल्यू (एलटीवी) रेशियो आपके लिए लोन लेना मुश्किल कर सकता है. इसका मतलब है कि घर खरीदने के लिए आपको अपना कॉन्ट्रिब्यूशन ज्यादा रखना वहीं, कम ईएमआई से लोन की अफोर्डेबलिटी बढ़ती है.
सैलरी कम होना
येदी किसी व्यक्ति की सालाना आमदनी बैंक द्वारा तय दायरे में नहीं आती, तो उस व्यक्ति की एप्लिकेशन रिजेक्ट हो जाता है.
इनकम टैक्स रिटर्न फाइलिंग
लोन देने वाला बैंक आपके पिछले दो साल के आईटीआर का रिकॉर्ड चेक करते हैं. इसके बाद ही आपका होम लोन मंजूर किया जाता है.
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