बांग्लादेश में हुए तख्तापलट से इन भारतीय कंपनियों को लग सकता है करोड़ों का चूना
कई भारतीय कंपनियां जो बांग्लादेश में बतौर सप्लायर मौजूद हैं, या उनकी वहां के बाजार पर अच्छी पकड़ है, उनका कारोबार बांग्लादेश हिंंसा की वजह से प्रभावित हो सकता है.
बांग्लादेश की पीएम शेख हसीना के तख्तापलट ने पूरी दुनिया को हिला कर रख दिया है. वहां उठी हिंसक आंदोलन की चिंगारी से भारतीय कंपनियां भी झुलस सकती हैं. शेख हसीना के पद छोड़कर भागने और देश की कमान सेना के अपने हाथ में लेने की आशंका से हिंसा और बढ़ गई है, इससे कई भारतीय कंपनियां जो बांग्लादेश में बतौर सप्लायर मौजूद हैं, या वहां के मार्केट पर अच्छी पकड़ है, इनका कारोबार प्रभावित हो सकता है. आज हम आपको ऐसी ही चुनिंदा भारतीय कंपनियों के बारे में बताएंगे जिन्हें बांग्लादेश हिंसा से करोड़ों का नुकसान हो सकता है.
वीआईपी इंडस्ट्रीज
पॉपुलर लगेज निर्माता वीआईपी की बांग्लादेश में आठ मैन्युफैक्चरिंग यूनिट हैं. कंपनी का लगभग 30-35% सामान वहीं से आता है. कंपनी की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, वीआईपी इंडस्ट्रीज ने सॉफ्ट लगेज की मांग में गिरावट के चलते मैनपावर को कम करने सहित अपनी बांग्लादेश मैन्युफैक्चरिंग यूनिट को रिस्ट्रक्चर किया था. स्थिति सामान्य हुई थी कि अब बांग्लादेश में फैली हिंसा से व्यापार पर बुरा असर पड़ सकता है.
मैरिको
बांग्लादेश मैरिको के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार का एक प्रमुख हिस्सा है. मैरिको के अंतर्राष्ट्रीय राजस्व का लगभग 44% बांग्लादेश से आता है. जब ओवर ऑल राजस्व की बात आती है, तो देश इसमें लगभग 12% का योगदान देता है. मगर बांग्लादेश की मौजूदा स्थिति को देखते हुए मैरिको का लक्ष्य वित्तीय वर्ष 2027 के अंत तक अपने अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में बांग्लादेश की हिस्सेदारी को 40% से कम करना है.
डाबर, जीसीपीएल और ब्रिटानिया
एफएमसीजी तिकड़ी डाबर, जीसीपीएल और ब्रिटानिया का भी कारोबार बांग्लदेश में फैला है. हालांकि उनकी कुल बिक्री का ये 5% से भी कम है. इसके बावजूद ये कंपनियां अपने कारोबार को लेकर चिंतित हैं.
ट्रेंट
टाटा समूह की कंपनी के लिए सोर्सिंग के लिए हांगकांग और थाईलैंड के अलावा बांग्लादेश सबसे महत्वपूर्ण देशों में से एक है. ऐसे में बांग्लादेश में फैली हिंसा से ट्रेंट का कारोबारा प्रभावित हो सकता है.