केंद्रीय सूचना प्रौद्योगिकी और इलेक्ट्रॉनिक्स मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा है कि भारत ने अगले पांच साल में वैश्विक सेमीकंडक्टर क्षेत्र में एक मजबूत ताकत बनने और ताइवान तथा दक्षिण कोरिया जैसे ज्ञात गंतव्यों को टक्कर देने का लक्ष्य रखा है. उन्होंने कहा कि वैश्विक कंपनियों की सोच अब बदल रही है और वे भारत में जल्द निवेश करना चाहती हैं.
वैष्णव ने पीटीआई-भाषा के साथ इंटरव्यू में कहा कि उनका दृढ़ मत है कि आज प्रत्येक बड़ा सेमीकंडक्टर खिलाड़ी अपनी निवेश योजना पर नए सिरे से विचार करना चाहता है और भारत आना चाहता है. ‘‘इसकी वजह सावधानी से तैयार की गई नीतियां हैं.’’
उन्होंने कहा कि भारत अपनी डिजाइन क्षमता पर आगे बढ़ेगा. इस क्षेत्र में देश के पास पहले से ही अंतर्निहित और साबित क्षमता है. विशेष रूप से, वैश्विक प्रतिभाओं का लगभग एक-तिहाई हिस्सा भारत में है.
वैष्णव ने कहा कि प्रस्तावित फैब (चिप फैब्रिकेशन संयंत्र) और तीन एटीएमपी (असेंबली और परीक्षण) इकाइयों के साथ भारत के पास अब सेमीकंडक्टर मूल्य श्रृंखला का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है.
मंत्री ने कहा, ‘‘..जो लोग पहले सोचते थे कि हमें भारत कब जाना चाहिए या क्या हमें भारत जाना चाहिए. अब वे पूछ रहे हैं कि हम कितनी जल्दी भारत जाएं. यही बदलाव है, जो आज हो रहा है. व्यावहारिक रूप से इसका मतलब है कि अब हर बड़ा खिलाड़ी अपनी निवेश योजनाओं पर नए सिरे से विचार करना चाहेगा और भारत आना चाहेगा.’’
यह पूछे जाने पर कि भारत कबतक दुनिया के ज्ञात सेमीकंडक्टर गंतव्यों के समक्ष एक मजबूत खिलाड़ी के रूप में उभरेगा, वैष्णव ने कहा, ‘‘निश्चित रूप से अगले पांच साल में.’’
सूचना प्रौद्योगिकी और इलेक्ट्रॉनिक्स मंत्री का यह बयान इसलिए महत्वपूर्ण हो जाता है, क्योंकि अमेरिका-चीन तनाव के बीच सेमीकंडक्टर भू-राजनीतिक युद्धक्षेत्र में एक नए ‘मोर्चे’ के रूप में उभर रहा है. वहीं भारत तेजी से कदम उठाते हुए प्रोत्साहनों की पेशकश कर रहा है जिससे खुद को परिचालन का विस्तार करने के लिए विकल्पों की तलाश कर रही वैश्विक कंपनियों के लिए एक आकर्षक गंतव्य में रूप में पेश कर सके. इसके अलावा इससे घरेलू क्षेत्र की चैंपियन कंपनियां भी ऐसे उच्च-प्रौद्योगिकी क्षेत्र में उतरने के लिए तैयार होंगी.’’
वास्तव में भारत के ठोस कदमों और अनुकूल नीतियों की वजह से देश में पहले वाणिज्यिक फैब का प्रस्ताव मिला है. इस सप्ताह सरकार ने 1.26 लाख करोड़ रुपये के कुल निवेश के साथ टाटा समूह के विशाल फैब के साथ तीन सेमीकंडक्टर संयंत्र स्थापित करने के प्रस्तावों को मंजूरी दी है. भारत अब खुद को चिप विनिर्माणओं के बीच एक ताकत के रूप में पेश कर रहा है.
वैष्णव ने समझाते हुए कहा, ‘‘..किसी भी विकासशील देश के लिए, हमारे आकार की अर्थव्यवस्था के लिए, देश के भीतर सेमीकंडक्टर आपूर्ति श्रृंखला का होना बहुत महत्वपूर्ण है. हमारे पास बहुत मजबूत डिजायन क्षमता है. डिजायन क्षमताओं के साथ हमारे पास विनिर्माण क्षमता भी होनी चाहिए, तभी इसमें और मूल्य जोड़ा जा सकता है.’’
वैष्णव का मानना है कि सेमीकंडक्टर योजनाएं भारत को आत्मनिर्भर बनाएंगी, अर्थव्यवस्था और विभिन्न उद्योगों पर गुणक प्रभाव डालेगी, रोजगार पैदा करेंगी और आजीविका को बढ़ावा देंगी.
हाल में की गई घोषणा के अनुसार, टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स प्राइवेट लि. ताइवान की पावरचिप सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग कॉर्प के साथ भागीदारी में गुजरात के धोलेरा विशेष औद्योगिक क्षेत्र में सेमीकंडक्टर फैब की स्थापना करेगी. इस संयंत्र की क्षमता मासिक आधार पर 50,000 ‘वैफर्स’ बनाने की होगी. इसमें 91,000 करोड़ रुपये का निवेश होगा.
इसके अलावा सरकार ने सरकार ने असम के जगीरोड में नए सेमीकंडक्टर असेंबली और परीक्षण संयंत्र के टाटा के प्रस्ताव को भी मंजूरी दे दी है. यह सुविधा 27,000 करोड़ रुपये के निवेश के साथ स्थापित की जाएगी. इससे इस क्षेत्र में 27,000 से अधिक प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार के अवसर पैदा होने की उम्मीद है.
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