हाल ही में भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की ओर से पेटीएम पेमेंट बैंक पर लगाए गए प्रतिबंध के बाद दूसरी फिनटेक कंपनियां भी रडार पर आ गई हैं. सूत्रों के मुताबिक केवाईसी चूक पर कई फिनटेक कंपनियों को नियामक कार्रवाई का सामना करना पड़ सकता है. इनमें भुगतान एग्रीगेटर और वॉलेट सर्विस प्रोवाइडर कंपनियां शामिल हो सकती है.
सूत्रों का कहना है कि कई फिनटेक कंपनियां जो अनसिक्योर्ड लोन बाजार में काम करती हैं और ग्राहकों और ऋणदाताओं के बीच मध्यस्थ का काम करती हैं ऐसी कंपनियां जांच के दायरे में हैं. 31 जनवरी को, आरबीआई ने केवाईसी प्रक्रिया में अनुपालन संबंधी खामियों के लिए पेटीएम पेमेंट्स बैंक को गंभीर प्रतिबंधों के तहत रखा था. अब कम से कम चार और भुगतान कंपनियां हैं जो पहले से ही इसी तरह की खामियों के लिए निगरानी में हैं.
नियम नहीं है मजबूत
आरबीआई के अनुसार पारंपरिक बैंकों की तुलना में फिनटेक कंपनियों के केवाईसी नियम पर्याप्त रूप से मजबूत नहीं हैं. नियामक के अनुसार वैश्विक एफएटीएफ मानकों के अनुरूप ग्राहक निधि को सत्यापित करने के लिए मजबूत प्रणालियां मौजूद होनी चाहिए. वित्त मंत्रालय ने केवाईसी के मुद्दों और ऑनलाइन भुगतान के माध्यम से धोखाधड़ी की रोकथाम पर चर्चा करने के लिए इंडस्ट्री से जुड़े प्रतिभागियों से कई बार मुलाकात की है.
मनी लॉन्ड्रिंग पर रोक के लिए इन एजेंसियों की नजर
आरबीआई बैंकिंग क्षेत्र का नियामक है ऐसे में नियमों की देखरेख की जिम्मेदारी उसकी है. प्रवर्तन निदेशालय को भी मनी लॉन्ड्रिंग की जांच करने का अधिकार है. सरकार की वित्तीय खुफिया इकाई (FIU) और कर विभाग भी मनी लॉन्ड्रिंग पर नज़र रखते हैं. इसके अलावा भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) और भारतीय बीमा नियामक और विकास प्राधिकरण जैसे नियामकों से भी इसे सुनिश्चित करने की अपेक्षा की जाती है.