Bharat Band By Farmers: संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम), केंद्रीय ट्रेड यूनियन (सीटीयू) और स्वतंत्र क्षेत्रीय संघ 16 फरवरी को औद्योगिक हड़ताल और ग्रामीण क्षेत्रों में आहूत बंद का ऐलान किया है.इन संगठनों ने ‘समान विचारधारा वाले’ संगठनों और लोगों से 16 फरवरी को औद्योगिक हड़ताल और ग्रामीण क्षेत्रों में आहूत बंद में शामिल होने की अपील भी की है. एसकेएम और सीटीयू के संयुक्त मंच ने एक संयुक्त बयान में युवाओं, महिलाओं, पेंशनभोगियों, छात्रों, छोटे व्यापारियों, ट्रक संचालकों, पेशेवरों, सांस्कृतिक कार्यकर्ताओं और अन्य सहित सभी वर्गों से अपील की कि वे वास्तविक आजीविका के मुद्दों को राष्ट्रीय एजेंडे में वापस लेकर आएं. और इसी मुद्दे को लेकर भारत बंद में शामिल हों. संगठन ने बयान जारी कर इसकी जानकारी दी है. राकेश टिकैत ने कहा है कि पहले भी किसान ‘अमावस्या’ के दिन खेतों में काम करना छोड़ देते थे. इसी तरह, 16 फरवरी का दिन किसानों के लिए ‘अमावस्या’ है, उस दिन उन्हें काम न करना चाहिए और ‘कृषि हड़ताल’ का सहारा लेना चाहिए.
किसान संगठन का भारत बंद का ऐलान
बयान में कहा गया है कि इस सरकार में लोगों पर बढ़ते कॉर्पोरेट, सांप्रदायिक दबाव में भारत के संविधान में निहित लोकतंत्र, संघवाद, धर्मनिरपेक्षता और समाजवाद के बुनियादी सिद्धांतों को बचाने के लिए लोगों में एकता होना जरूरी है. इसलिए, संगठन सभी धर्मनिरपेक्ष और लोकतांत्रिक ताकतों से अनुरोध करता है कि वे कॉर्पोरेट लूट को खत्म करने और भारत गणराज्य के धर्मनिरपेक्ष लोकतांत्रिक चरित्र को बचाने के लिए इस संघर्ष का समर्थन करें. इसमें यह भी कहा गया है कि संयुक्त संघर्ष तब तक जारी रहेगा जब तक मोदी सरकार उनकी मांगों को पूरा नहीं कर देती. सड़क परिवहन श्रमिक संगठनों की अखिल भारतीय समन्वय समिति ने भी परिवहन कर्मचारियों से 16 फरवरी को एक दिवसीय हड़ताल पर जाने की अपील की है. सीटीयू और अन्य महासंघों ने भी 26 जनवरी को जिला मुख्यालयों पर ट्रैक्टर या वाहनों की परेड के लिए एसकेएम द्वारा दिए गए आह्वान को समर्थन दिया है. गौरतलब है कि इससे पहले देश भर के किसान आंदोलन भी कर चुके हैं.
किन मुद्दों को लेकर भारत बंद?
भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा यह बंद का आह्वान कई मुद्दों को लेकर किया जा रहा है. इसके तहत MSP गारंटी कानून का न बनना, बेरोजगारी, अग्निवीर, पेंशन आदि मुद्दे उठाए जाएंगे. टिकैत ने कहा है कि पहले भी किसान ‘अमावस्या’ के दिन खेतों में काम करना छोड़ देते थे. इसी तरह, 16 फरवरी का दिन किसानों के लिए ‘अमावस्या’ है, उस दिन उन्हें काम न करना चाहिए और ‘कृषि हड़ताल’ का सहारा लेना चाहिए. टिकैत का कहना है कि इससे देश में एक बड़ा संदेश जाएगा, और सरकार को इन मुद्दों पर बात करनी होगी.
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