ऑनलाइन इनवेस्टमेंट प्लेटफॉर्म ग्रो (Groww) ने ऐलान किया है कि वह इंडियाबुल्स म्यूचुअल फंड (Indiabulls Mutual Fund) को 175 करोड़ रुपये में खरीद रही है.
एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि डिजिटल प्लेटफॉर्म Groww 175 करोड़ रुपये में इंडियाबुल्स एसेट मैनेजमेंट कंपनी (IBAMC) और ट्रस्टी कंपनी को खरीद रही है. इसमें कहा गया है कि ये ट्रांजैक्शन रेगुलेटरी एप्रूवल्स के अधीन है.
AIF और PMS नहीं होंगे डील का हिस्सा
ऑल्टरनेट इनवेस्टमेंट फंड (AIF) और पोर्टफोलियो मैनेजमेंट सर्विस (PMS) को मौजूदा IBAMC स्ट्रक्चर से अलग किया जाएगा और ये कारोबार इंडियाबुल्स हाउसिंग फाइनेंस के पास ही रहेंगे.
सेबी ने फिनटेक कंपनियों को दी थी MF बिजनेस की इजाजत
ये ऐलान ऐसे वक्त पर हुआ है जबक कुछ महीने पहले ही कैपिटल मार्केट्स रेगुलेटर सेबी ने फिनटेक समेत डिजिटल प्लेटफॉर्म्स को म्यूचुअल फंड कारोबार में एंट्री करने की इजाजत दी थी.
अब Groww ऐसी पहले फिनटेक कंपनी बन गई है जो कि एसेट मैनेजमेंट के सेक्टर में एंट्री कर रही है.
इंडियाबुल्स म्यूचुअल फंड के 13 फंड हैं और इनका तिमाही औसत एसेट अंडर मैनेजमेंट मार्च 2021 को 663.68 करोड़ रुपये था. ये दिसंबर 2021 में 921.33 करोड़ रुपये था.
कोर बिजनेस पर फोकस करेगी इंडियाबुल्स
म्यूचुअल फंड कारोबार बेचने से इंडियाबुल्स हाउसिंग फाइनेंस को अपनी कैपिटल पोजिशन को मजबूत करने में मदद मिलेगी.
Groww के पास 1.5 करोड़ कस्टमर्स का बेस है और कंपनी इसका इस्तेमाल म्यूचुअल फंड्स कारोबार, एक्सचेंज ट्रेडेड फंड्स में निवेश में करेगी. बयान में कहा गया है कि कंपनी को उम्मीद है कि इक्विटी में रिटेल भागीदारी में इजाफा होगा.
Groww के चीफ एग्जिक्यूटिव और को-फाउंडर ललित केशरे ने कहा, “प्रोडक्ट्स तैयार करने की अपनी क्षमता के साथ हम म्यूचुअल फंड तक लोगों की पहुंच बढ़ाएंगे. हम इन्हें आसान और ज्यादा ट्रांसपेरेंट बनाएंगे और इनकी कॉस्ट को और कम करेंगे.”
इंडियाबुल्स हाउसिंग फाइनेंस की योजना AIF के जरिए अपने रियल एस्टेट एसेट मैनेजमेंट कारोबार को बढ़ाने की है और कंपनी एसेट-लाइट स्ट्रैटेजी पर चल रही है.
इंडियाबुल्स हाउसिंग फाइनेंस मोटे तौर पर रिटेल वितरण पर फोकस करेगी, जबकि AIF स्ट्रक्चर से उसे अर्ली-स्टेज प्रोजेक्ट फाइनेंस में अवसर हासिल होंगे.
इंडियाबुल्स हाउसिंग फाइनेंस के वाइस चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर गगन बंगा ने कहा है, “हमने अपने रिटेल म्यूचुअल फंड बिजनेस को बेचने का फैसला किया है ताकि हम अपनी पूंजी को कंसॉलिडेट कर पाएं और कंपनी के रियल एस्टेट मैनेजमेंट बिजनेस को और पुख्ता कर पाएं.”
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